Goat Farming: इस नस्ल की बकरी पालकर कर सकते है बढ़िया कमाई, कम खर्चे में देती है बंपर दूध

भारत में पशुपालन एक प्रमुख आजीविका का साधन है और बकरी पालन इसका एक अहम हिस्सा है.
 

Goat Farming: भारत में पशुपालन एक प्रमुख आजीविका का साधन है और बकरी पालन इसका एक अहम हिस्सा है. बकरियाँ न केवल दूध और मांस के लिए पाली जाती हैं, बल्कि इन्हें कृषि और घरेलू जरूरतों के लिए भी रखा जाता है. आइए जानते हैं भारतीय बकरियों की अलग अलग नस्लों और उनकी खासियतों के बारे में.

इस नस्ल का चयन 

पशुपालक बड़ी सावधानी से बकरी की नस्ल का चयन करते हैं. चुनाव के समय वे दूध और मांस उत्पादन (milk and meat production) को प्रमुखता देते हैं जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा (profitable farming) हो सके. नस्लों का चयन कई बार जलवायु और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार भी किया जाता है.

जमनापारी

जमनापारी नस्ल जिसे अक्सर 'बकरियों की रानी' कहा जाता है अपने दूध उत्पादन क्षमता (high milk yield) के लिए प्रसिद्ध है. इस नस्ल की बकरियां भारी और लंबे कानों के साथ विशेषतः अपनी सुंदरता के लिए भी जानी जाती हैं.

उत्पादन क्षमता और आर्थिक महत्व 

जमनापारी बकरियां प्रति दिन लगभग 4 से 5 लीटर तक दूध दे सकती हैं, जो उन्हें दूध उत्पादन में अग्रणी (leading milk producer) बनाती है. एक ब्यांत में ये बकरियां 500 लीटर तक दूध दे सकती हैं, जिससे इनकी आर्थिक कीमत (economic value) में बड़ा योगदान होता है. इनकी कीमत भी लगभग 15 से 20 हजार रुपये तक होती है, जो उनकी उत्पादन क्षमता के अनुरूप है.

भारतीय बकरी पालन उद्योग में इस प्रकार की नस्लों का महत्वपूर्ण स्थान है. इन नस्लों का सही चयन न केवल आर्थिक लाभ पहुंचाता है बल्कि पशुपालन को और अधिक स्थायी और लाभकारी बनाता है. बकरी पालन से जुड़ी इस तरह की जानकारी से पशुपालकों को अपने पशुधन का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलती है.