बिहार में वंशावली से जुड़े नियमों में हुआ बड़ा बदलाव, अब गांव के इस आदमी को मिला अधिकार

बिहार सरकार ने वंशावली प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस नई व्यवस्था के अनुसार, अब यह जिम्मेदारी सीधे ग्राम कचहरी के प्रमुख यानी सरपंच को सौंपी गई है।
 

बिहार सरकार ने वंशावली प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस नई व्यवस्था के अनुसार, अब यह जिम्मेदारी सीधे ग्राम कचहरी के प्रमुख यानी सरपंच को सौंपी गई है। यह निर्णय पंचायती राज विभाग द्वारा लिया गया है, जिससे प्रक्रिया को और अधिक सुगम और पारदर्शी बनाने की उम्मीद है। आवेदकों को अब मात्र ₹10 का नगद शुल्क देकर, शपथ पत्र के साथ अपना आवेदन प्रस्तुत करना होगा।

ऑनलाइन आवेदन की सुविधा

आधुनिक तकनीक के युग में कदम मिलाते हुए, बिहार सरकार ने वंशावली प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था की है। आरटीपीएस के माध्यम से आवेदन करते समय भी आवेदकों को पहली बार में ₹10 का ही शुल्क देना होगा। यह पहल न केवल समय की बचत करेगी बल्कि प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाएगी।

वंशावली निर्गतन प्रक्रिया में गवाहों का महत्व

इस नई नियमावली में वंशावली प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए पांच गवाहों की आवश्यकता को महत्वपूर्ण माना गया है। गवाहों के आधार कार्ड की फोटो कॉपी आवेदन के साथ जमा कराई जाएगी, जिससे प्रक्रिया में एक अतिरिक्त पारदर्शिता और सत्यापन की परत जुड़ जाती है। इस कदम से वंशावली प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी।

दस्तावेजों की आवश्यकता और प्रक्रिया का समय

वंशावली प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदकों को विभिन्न दस्तावेज जमा करने होंगे, जिसमें निवासी प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, बासगीत पर्चा, वोटर लिस्ट, आधार कार्ड आदि शामिल हैं। यह प्रक्रिया पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ आवेदक की वंशावली की सटीकता को भी प्रमाणित करेगी। ग्राम कचहरी के पंच द्वारा जांच के बाद, वंशावली प्रमाण पत्र निर्गत करने में लगभग 22 दिनों का समय लग सकता है।