NCR के इन 4 गांवों के किसानों के लिए आई बड़ी गुड न्यूज, BDA बनाएगी टाउनशिप तो मिलेगा रोजगार और मकान

उत्तर प्रदेश के दादरी क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। बुलंदशहर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा यहाँ के चार गांवों की 250 एकड़ जमीन पर एक बड़े पैमाने पर टाउनशिप विकसित करने की योजना है।
 

उत्तर प्रदेश के दादरी क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। बुलंदशहर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा यहाँ के चार गांवों की 250 एकड़ जमीन पर एक बड़े पैमाने पर टाउनशिप विकसित करने की योजना है। यह टाउनशिप आवासीय, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल भूखंडों का एक मिश्रण होगी।

जिससे न केवल रोजगार के अवसर सृजित होंगे बल्कि लोगों को आवासीय सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। बुलंदशहर विकास प्राधिकरण द्वारा दादरी के चार गांवों में विकसित की जा रही इस टाउनशिप से न केवल क्षेत्र के विकास को एक नई दिशा मिलेगी।

बल्कि किसानों को उनकी जमीन के बदले उचित मुआवजा और विकसित भूखंड भी प्रदान किए जाएंगे। यह पहल क्षेत्र के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अधिग्रहण नीति और किसानों को मिलेगा विकसित भूखंड

इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की नीति तय कर ली गई है। बीडीए ने पहली बार एक नई पहल करते हुए तय किया है कि जिन किसानों की जमीन इस टाउनशिप के लिए ली जाएगी। उन्हें अधिग्रहीत जमीन के बदले छह प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाएगा।

हालांकि इसके लिए किसानों से विकास शुल्क के रूप में 7300 रुपये प्रति वर्ग मीटर लिया जाएगा और साथ ही उन्हें सिर्फ 90 प्रतिशत जमीन का ही मुआवजा प्राधिकरण द्वारा प्रदान किया जाएगा।

किसानों के साथ आपसी समझौता

इस टाउनशिप का निर्माण दादरी के गांव कैमराला, चक्रसैनपुर, घोड़ीबछैड़ा और चमरावली रामगढ़ की जमीन पर होना है। बीडीए ने किसानों के साथ आपसी समझौते के आधार पर जमीनें लेने की प्रक्रिया आरंभ की है। इस आपसी समझौते से न केवल प्राधिकरण बल्कि किसानों के लिए भी स्थितियाँ अनुकूल बनाई जा रही हैं।

भूखंड आवंटन की शर्तें और शुल्क

छह प्रतिशत के भूखंड आवंटन की शर्तें काफी स्पष्ट की गई हैं। यदि किसी किसान का भूखंड 15 मीटर या उससे कम का बनता है तो उसे भूखंड नहीं मिलेगा। हालांकि 15 मीटर से अधिक बनने पर न्यूनतम 40 मीटर और अधिकतम 2500 मीटर का भूखंड दिया जाएगा। इसके अलावा विकसित भूखंड का स्टांप शुल्क, रजिस्ट्री शुल्क, फ्री होल्ड चार्ज और कार्नर चार्ज जैसे खर्चे किसानों को ही वहन करने होंगे।