यूपी में शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने को लेकर आया बड़ा अपडेट, योगी सरकार के मंत्री ने दिया हिंट
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने विधान परिषद में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि बेसिक शिक्षा निदेशक (Basic Education Director) की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय समिति (Committee) की रिपोर्ट आते ही शिक्षा मित्रों (Education Friends) के मानदेय (Honorarium) के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
इस निर्णय से शिक्षा मित्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री द्वारा शिक्षा मित्रों के मानदेय के बारे में किए गए वादे, शिक्षामित्रों की नियुक्ति और वेतन संबंधी विवाद, विधान परिषद में उठाए गए मुद्दे, और शिक्षामित्रों के समर्थन में संशोधित अध्यादेश की मांग जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है। इसे सरल और सुबोध भाषा में लिखा गया है ताकि पाठकों को आसानी से समझ आ सके।
शिक्षामित्रों की नियुक्ति और वेतन पर न्यायालय का आदेश
शिक्षा मित्रों को समाजवादी पार्टी (Socialist Party) के समय में सहायक अध्यापक (Assistant Teacher) के रूप में नियुक्त किया गया था और उसी पद के अनुसार वेतन भी दिया जा रहा था। हालांकि, न्यायालय (Court) के आदेश पर उन्हें वापस शिक्षामित्र बनाया गया। राज्यमंत्री ने बताया कि उनके मानदेय को तीन गुना बढ़ाकर दस हजार रुपये (Ten Thousand Rupees) कर दिया गया है।
शिक्षामित्रों के लिए नए अवसर
राज्यमंत्री ने यह भी बताया कि अर्हता पूरी करने वाले 15 हजार से अधिक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया गया है। इससे उन्हें नई उम्मीदें (New Hopes) और अवसर मिले हैं। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में उनकी स्थिति को मजबूत करेगा।
विधान परिषद में उठा मानदेय का मुद्दा
मंगलवार को विधान परिषद (Legislative Council) में शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के विभिन्न सदस्यों ने शिक्षामित्रों के मानदेय का मामला उठाया। इस पर सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने राजनीतिक दलों (Political Parties) को जनता की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने की सलाह दी।
शिक्षामित्रों के लिए संशोधित अध्यादेश की मांग
आशुतोष सिन्हा ने सरकार से संशोधित अध्यादेश (Amended Ordinance) लाकर शिक्षामित्रों को समायोजित करने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि शिक्षामित्रों पर आन्दोलन (Protest) के दौरान लगाए गए गलत मुकदमे वापस लिए जाएं और जिन शिक्षामित्रों की जान गई है, उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।