BIHAR WEATHER FORECAST: बिहार में इस बार कम बारिश के कारण किसानों की बढ़ी चिंता, जाने इसबार कैसा रहेगा मानसून का रुख

पिछले दस वर्षों में बिहार (Bihar) के अंचलों में मानसूनी बारिश (Monsoon Rainfall) में आई कमी ने विभिन्न चुनौतियों को जन्म दिया है।
 
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पिछले दस वर्षों में बिहार (Bihar) के अंचलों में मानसूनी बारिश (Monsoon Rainfall) में आई कमी ने विभिन्न चुनौतियों को जन्म दिया है। ऊर्जा पर्यावरण एवं जल परिषद (Council on Energy, Environment and Water - CEEW) के अध्ययन ने इस तथ्य को उजागर किया है।

कम बारिश वाले अंचल और इसके प्रभाव

अध्ययन के अनुसार, बिहार सहित उत्तराखंड (Uttarakhand) असम (Assam) और मेघालय (Meghalaya) जैसे राज्यों में 87 प्रतिशत अंचल दक्षिण-पश्चिम मानसून (South-West Monsoon) से बारिश में कमी का सामना कर रहे हैं। खरीफ फसलों (Kharif Crops) की बुआई के लिए महत्वपूर्ण जून और जुलाई के महीनों में इस गिरावट का विशेष रूप से वर्णन किया गया है।

असमान बारिश वितरण की समस्या

अध्ययन ने यह भी बताया कि बारिश में वृद्धि (Rainfall Increase) कुछ तहसीलों में अक्टूबर महीने में देखी गई लेकिन यह वृद्धि सभी मौसमों और महीनों में समान रूप से नहीं फैली है।

भविष्य की चिंताएँ और परिणाम

आने वाले समय में बारिश की मात्रा में और कमी (Rainfall Reduction) भूजल स्तर (Groundwater Level) में गिरावट बारिश वाले दिनों की संख्या में कमी और गर्म दिनों की संख्या में वृद्धि जैसे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

जलस्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव

नदियों (Rivers) तालाबों (Ponds) और जलाशयों (Reservoirs) में पानी की उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पेयजल (Drinking Water) की कमी, खेती (Agriculture) में मुश्किलें और भूमि की नमी (Soil Moisture) में कमी जैसी समस्याएँ उत्पन्न होंगी।

गंभीर परिणामों की आशंका

बारिश में वृद्धि और कमी के ये परिणाम बिहार के साथ-साथ देश के अन्य भागों में भी देखे जा रहे हैं। यह स्थिति अचानक आने वाली बाढ़ (Floods) और सूखे (Droughts) का कारण बन सकती है।

बिहार के चारों क्षेत्रों पर प्रभाव

बिहार के चारों क्षेत्रों में भूजल स्तर में गिरावट (Groundwater Level Decline) और बारिश की कमी के कारण जलस्रोतों के सूखने की समस्या बढ़ रही है।

समाधान की आवश्यकता

इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करने के लिए ठोस और प्रभावी उपायों (Effective Measures) की आवश्यकता है। पानी के संरक्षण (Water Conservation), जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रति जागरूकता, और सतत खेती (Sustainable Farming) प्रथाओं को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।