टूटी फूटी सड़के इस तकनीक से अपने आप हो जाएगी ठीक, जल्द ही भारत की सड़कों पर इस्तेमाल होगी ये तकनीक

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़कों पर बनने वाले गड्ढों की बढ़ती समस्या को हल करने के लिए एक नवीन प्रौद्योगिकी की ओर कदम बढ़ाया है। यह नई तकनीक जिसे 'सेल्फ-हीलिंग एसफाल्ट' कहा जाता....
 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़कों पर बनने वाले गड्ढों की बढ़ती समस्या को हल करने के लिए एक नवीन प्रौद्योगिकी की ओर कदम बढ़ाया है। यह नई तकनीक जिसे 'सेल्फ-हीलिंग एसफाल्ट' कहा जाता है खुद की मरम्मत कर सकती है और इस प्रकार यह सड़कों के रखरखाव और सुरक्षा मानकों को क्रांतिकारी ढंग से बढ़ावा देने का वादा करती है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 2024-25 के बजट में सड़क रखरखाव के लिए 2,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो इस नई तकनीक को समर्थन देने के लिए एक मजबूत कदम है।

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इस प्रावधान से यह स्पष्ट है कि सरकार सड़कों के उन्नत रखरखाव और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इस नई तकनीक का विकास और कार्यान्वयन इस प्रतिबद्धता को पूरा करने का एक अच्छा उदाहरण है।

टिकाऊ और प्रभावी समाधान की ओर

एनएचएआई द्वारा यह कदम उन समस्याओं को संबोधित करने के लिए उठाया गया है जो लंबे समय से चली आ रही हैं। सड़कों पर गड्ढे न केवल यात्रा को असुरक्षित बनाते हैं बल्कि यह वाहनों के लिए भी नुकसानदायक होते हैं।

इस नई तकनीक के अंतर्गत डामर में स्टील ऊन के टुकड़े मिलाए जाते हैं जो गर्म होने पर खुद को मरम्मत कर लेते हैं और गड्ढों को पुनः उत्पन्न होने से रोकते हैं।

खतरों का मुकाबला और सुरक्षित यात्रा

भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या हैं खासकर जब ये गड्ढों के कारण होती हैं। पिछले वर्षों में गड्ढों के कारण हुई दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है जिससे कई निर्दोष जीवन को नुकसान पहुंचा है।

इस नई तकनीक का उपयोग करने से न केवल गड्ढों की समस्या कम होगी बल्कि यह यात्रा को अधिक सुरक्षित और आरामदायक बनाने में मदद करेगी।

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आर्थिक पहलुओं पर नजर

इस तकनीक को अपनाने से पहले एनएचएआई एक विस्तृत लागत-लाभ विश्लेषण कर रहा है। यह विश्लेषण सुनिश्चित करेगा कि नई तकनीक की लागत इसके लाभों के अनुरूप है और सड़क निर्माण और रखरखाव में निवेश को अधिकतम कर सकती है। इससे सरकारी धन का सही उपयोग सुनिश्चित होगा और लंबे समय में आर्थिक बचत हो सकेगी।