मोहल्ले की भाभियां अकेलेपन में इस तरीके से जीत लेती है लडको का दिल,  नजारा देख लडको के मत्थे से टपकने लगता है पसीना

चाणक्य का मानना था की अस्वस्थता व्यक्ति की कामयाबी में रोड़े की तरह काम करती है. सेहत से खिलवाड़ यानी कि जीवन से खिलवाड़. अपनी नीतियों में बेहतर स्वास्थ्य को लेकर चाणक्य ने क्या कहा है आइए जानते हैं.
 

चाणक्य का मानना था की अस्वस्थता व्यक्ति की कामयाबी में रोड़े की तरह काम करती है. सेहत से खिलवाड़ यानी कि जीवन से खिलवाड़. अपनी नीतियों में बेहतर स्वास्थ्य को लेकर चाणक्य ने क्या कहा है आइए जानते हैं.

लोभ और लालच

चाणक्य का मानना था कि धन कमाने के बाद व्यक्ति में लोभ और लालच आ जाता है. उसके द्वारा कमाए गए धन को वह कभी दूसरों पर नहीं खर्च करता है. ऐसा करने से माता लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं. चाणक्य का मानना था कि कमाए गए धन का कुछ हिस्सा दान-दक्षिणा में देना चाहिए. इससे आप आर्थिक तौर पर और संपन्न होते हैं.

ये भी पढिए :- मर्दों की इन 4 आदतों पर फ़िदा होती है मोहल्ले की आँटिया और भाभियाँ, बुढ़ापे में भी जमकर होती है मस्ती

अन्याय या झूठ बोलकर 

चाणक्य का मानना था की माता लक्ष्मी चंचल स्वभाव की हैं. जो व्यक्ति भी धन गलत तरीके से कमाता है, या कमाया गया धन गलत जगह लगाता है उसके पास कभी माता लक्ष्मी टिकती नहीं है. इसलिए व्यक्ति को कभी भी अन्याय या झूठ बोलकर धन नहीं कमाना चाहिए. इस तरह की कमाई लाभ के बजाय व्यक्ति को आर्थिक तौर पर कमजोर कर सकती है.

अनजाने में व्यक्ति से कुछ ऐसी भूल हो जाती है

चाणक्य का मानना था कि जाने अनजाने में व्यक्ति से कुछ ऐसी भूल हो जाती है जो परिणाम स्वरूप जीवन में परेशानियां लाती है. कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन बावजूद इसके उनकी आर्थिक परेशानियां दूर नहीं होती. लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें आर्थिक लाभ तो होता है लेकिन कमाया गया पैसा अधिक समय तक उनके पास टिकता नहीं है. ऐसे में आचार्य चाणक्य की नीतियां आपको जरूर जानी चाहिए.

ये भी पढिए :- कुंवारी लड़कियों को इन 3 कामों से रहना चाहिए हमेशा दूर वरना उम्र से पहले हो जाती है बूढ़ी, दूसरी चीज़ पर तो चाहकर भी नही कर पाती कंट्रोल

बुरे कर्मों से कमाया गया धन

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में इस बात का ज़िक्र किया है कि जो व्यक्ति जैसा बोता है उसे फल भी वैसा ही मिलता है, अर्थात बुरे कर्मों से कमाया गया धन बुरे कार्यों में ही लगता है. चाणक्य का मानना था कि किसी का अहित करके धन नहीं कमाना चाहिए. ऐसा धन कभी भी टिकता नहीं है.