Cheque Bounce Rules: इन ग़लतियों के चलते हो जाते है चेक बाउंस, जाने कितने साल की होती है सजा

आज के डिजिटल युग में भले ही ऑनलाइन लेन-देन का चलन ज्यादा हो लेकिन चेक का उपयोग अभी भी कई जरूरी लेन-देन के लिए प्रचलन में है। चेक के जरिए किया गया पेमेंट अगर बाउंस हो जाए तो यह न केवल वित्तीय समस्याएं पैदा करता है बल्कि इससे कानूनी पचड़े भी खड़े हो सकते हैं।
 

आज के डिजिटल युग में भले ही ऑनलाइन लेन-देन का चलन ज्यादा हो लेकिन चेक का उपयोग अभी भी कई जरूरी लेन-देन के लिए प्रचलन में है। चेक के जरिए किया गया पेमेंट अगर बाउंस हो जाए तो यह न केवल वित्तीय समस्याएं पैदा करता है बल्कि इससे कानूनी पचड़े भी खड़े हो सकते हैं। बाउंस होने की कुछ मुख्य वजहें होती हैं जैसे खाते में पर्याप्त राशि का न होना, हस्ताक्षर का मिलान न होना, या चेक पर अन्य तकनीकी त्रुटियां।

चेक बाउंस के प्रमुख कारण

चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं:

खाते में नकदी की कमी: अगर चेक देने वाले के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है, तो चेक क्लियर नहीं हो पाता।
हस्ताक्षर का न मिलना: चेक पर दिया गया हस्ताक्षर अगर बैंक के रिकॉर्ड्स से मेल नहीं खाता है, तो बैंक चेक को अस्वीकार कर सकता है।
गलत जानकारी: चेक पर गलत तारीख, अकाउंट नंबर या अन्य विवरण गलत होने पर भी चेक बाउंस हो सकता है।

चेक बाउंस पर लगने वाला जुर्माना

चेक बाउंस होने पर अधिकांश बैंक जुर्माना वसूलते हैं। यह जुर्माना चेक जारी करने वाले पर लगाया जाता है और यह 150 रुपए से लेकर 800 रुपए तक हो सकता है। इसके अलावा अगर चेक प्राप्तकर्ता इस मामले को कानूनी रूप देता है तो जुर्माना और भी अधिक हो सकता है।

कानूनी परिणाम और न्यायिक प्रक्रिया

भारत में, चेक बाउंस को एक गंभीर अपराध माना जाता है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के तहत इसके लिए मुकदमा चलाया जा सकता है और दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल की सजा या चेक राशि का दोगुना जुर्माना, या दोनों लगाया जा सकता है। यदि चेक बाउंस का मामला कोर्ट में जाता है तो पहले बैंक द्वारा चेक धारक को एक नोटिस दिया जाता है और यदि 30 दिनों के भीतर पूरी राशि का भुगतान नहीं किया जाता तो मुकदमा चलाया जा सकता है।

चेक बाउंस से बचने के उपाय

चेक बाउंस से बचने के लिए, यह सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त राशि है। हमेशा चेक पर सही जानकारी भरें और हस्ताक्षर सावधानीपूर्वक करें। यदि आपको लगे कि किसी कारणवश चेक बाउंस हो सकता है, तो प्राप्तकर्ता को पूर्व सूचित करें और वैकल्पिक भुगतान की व्यवस्था करें।