इस प्रॉपर्टी से बच्चों को बेदखल नही कर सकते है माता-पिता, बच्चों को मिलता है उनका हिस्सा Property Rules

यदि आपकी संतान आपके साथ या आपके सहारे रह रही है और उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो ऐसे में उसे 'नालायक' माना जा सकता है.
 

ancestral property rule: यदि आपकी संतान आपके साथ या आपके सहारे रह रही है और उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो ऐसे में उसे 'नालायक' माना जा सकता है. यदि वह आपको तंग करती है या आपको यातना देती है और आपकी नजर में वह किसी काम की नहीं है, तो आप ऐसी स्थिति में अपनी स्व-अर्जित संपत्ति से उसे बेदखल करने के लिए SDM के पास अर्जी दायर कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को कागजी कार्रवाई के बाद संभव बनाया जा सकता है.

पैतृक संपत्ति और कानूनी प्रावधान

यदि आपके पिता या दादा द्वारा छोड़ी गई संपत्ति है तो आप अपनी संतान को इस संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते भले ही वह कितना भी 'नालायक' क्यों न हो. पैतृक संपत्ति में आपकी संतान का अधिकार भी घर के बाकी लोगों की तरह होता है. भारतीय कानून के तहत, माता-पिता अपने बच्चों को पैतृक संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते.

पैतृक संपत्ति की परिभाषा और इसके नियम

पैतृक संपत्ति वह होती है जो दादा-परदादा से विरासत में मिली होती है और जिसे कम-से-कम चार पीढ़ियों से पारिवारिक संपत्ति के रूप में संभाला जा रहा हो. अगर इस संपत्ति में कभी बंटवारा हुआ हो, तो उसका पैतृक संपत्ति का दर्जा समाप्त हो जाता है और वह स्व-अर्जित संपत्ति मानी जाती है. इस स्थिति में, माता-पिता अपने बच्चों को इस संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं.

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पैतृक संपत्ति में बदलाव और उसका असर

पैतृक संपत्ति के हिस्से में परिवार के बढ़ने के साथ-साथ बदलाव होता रहता है. अगर किसी परिवार के सदस्य की केवल एक संतान है, तो उसका पूरा हिस्सा उस संतान को मिलेगा. जबकि यदि किसी सदस्य की अधिक संतानें हैं, तो उसका हिस्सा उनमें समान रूप से बंटेगा. यह नियम न केवल परिवार के आर्थिक संतुलन को बनाए रखता है, बल्कि यह समय के साथ पैतृक संपत्ति की परिभाषा और उसके वितरण में आने वाले बदलावों को भी दर्शाता है.