एक फ़ीट का मामूली सा जानवर जिसे देख कांपने लगता है कोबरा, ज़हरीले सांपो का ज़हर भी नही करता कोई असर

किंग कोबरा का नाम सुनते ही आंखों के आगे फन निकाले हुए मौत दिखाई देती है। किंग कोबरा धरती पर सबसे जहरीले जीवों में से एक है। कोबरा एक बूंद जहर ही किसी का काम तमाम करने के लिए बहुत है।
 

किंग कोबरा का नाम सुनते ही आंखों के आगे फन निकाले हुए मौत दिखाई देती है। किंग कोबरा धरती पर सबसे जहरीले जीवों में से एक है। कोबरा एक बूंद जहर ही किसी का काम तमाम करने के लिए बहुत है। पलक झपकते ही किंग कोबरा शिकार का नामोनिशान मिटा देता है।

हालांकि एक जानवर ऐसा भी है, जिस पर न तो बिच्छू के जहर का असर होता है और ना ही किंग इसको कोबरा का जरा भी डर नहीं होता है। इस जानवर को मीरकैट्स कहा जाता है। ये छोटा सा जीव नेवले की प्रजाति मे से एक हैं।

ये अकसर दक्षिण अफ्रीका के अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनका वजन 2 पाउंड तक हो सकता है और इसकी हाइट 12 इंच (1 फीट) तक हो सकती है। इनकी नजर, सूंघने की ताकत और सुनने की शक्ति बहुत अधिक होती है। 

नहीं होता जहर का असर

ये बिच्छू, सांप, छोटे छिपकलियों और उनके अंडों का शिकार करते हैं। इनका 'वरदान' है कि बिच्छू और कोबरा का जहर इन पर कोई असर नहीं होता है। ये उनका शिकार भी करते हैं। ये शुष्क स्थानों में रहते हैं, इसलिए जो खाते हैं, उसी से पानी ग्रहण करते है।

इनकी उम्र दस से तेरह वर्ष होती है। मीरकैट्स बहुत सामाजिक हैं। इन्हें एक-दूसरे के साथ खेलना पसंद है। इनके समूह में हर सदस्य का अपना एक काम होता है, जिससे सभी को फायदा होता है।

बिलों में रहते हैं मीरकैट्स

शिकार करते समय ये भी रणनीति बनाते हैं। कुछ साथी शिकार की तलाश करते हैं, कुछ रणनीति बनाते हैं, और कुछ शिकार करते हैं। ये प्रादेशिक पशु हैं। इनका औसत क्षेत्रफल चार वर्ग मील तक होता है। ये उस क्षेत्र मे एक बिल बनाते है। 

खतरे की भनक होने पर ये उस बिल मे छिप जाते हैं। बारिश के मौसम में मीरकैट्स संभोग करते हैं। एक मादा मीरकैट्स दो से पांच बच्चों को जन्म देती हैं। ये बच्चे मां के साथ तब तक बिल में रहते हैं, जब तक वे ठोस भोजन खाने को तैयार नहीं हो जाते।