उत्तराखंड में शादी से पहले साथ में रहने वाले कपल हो जाए सावधान, टाइम रहते कर ले ये काम वरना होगी कार्रवाई
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया, जिसे समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) कहा जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पेश इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में विवाह (Marriage), तलाक (Divorce), जमीन (Land), संपत्ति (Property), उत्तराधिकार (Inheritance) जैसे विषयों पर एक समान कानून (Uniform Law) लागू करना है।
उत्तराखंड में पेश की गई समान नागरिक संहिता विधेयक एक प्रगतिशील कदम है जो समाज में विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति, और उत्तराधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक समान कानून की दिशा में अग्रसर है। यह विधेयक न केवल विविध सामाजिक परिवर्तनों को स्वीकार करता है बल्कि व्यक्तिगत अधिकारों और सुरक्षा की भी गारंटी देता है।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए नए नियम
इस विधेयक में सबसे चर्चित प्रस्ताव है लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में रह रहे कपल्स के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन (Mandatory Registration) का। यह निर्देश दिया गया है कि राज्य में रहने वाले ऐसे जोड़े को एक तय फॉर्मेट (Fixed Format) में अपने संबंध का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा।
इसे ना कराने पर कपल्स को जेल (Jail) जाना पड़ सकता है, या फिर उन्हें दस हजार रुपये का जुर्माना (Fine) भरना पड़ सकता है।
बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा
विधेयक का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि लिव-इन रिलेशनशिप से उत्पन्न बच्चों (Children from Live-in Relationships) को वैध (Legitimate) माना जाएगा, और उन्हें विवाह से जन्मे बच्चों के समान ही उत्तराधिकार के अधिकार (Inheritance Rights) प्राप्त होंगे। यह कदम बच्चों के हितों की रक्षा करता है और उन्हें समाज में समान अधिकार (Equal Rights) प्रदान करता है।
अवयस्कों और अनुचित सहमति के मामले
विधेयक यह भी स्पष्ट करता है कि अगर लिव-इन संबंध में शामिल किसी एक भी व्यक्ति की आयु 21 वर्ष से कम है, तो उनके माता-पिता (Parents) को इस बारे में सूचित किया जाएगा।
साथ ही, अगर कपल में शामिल किसी व्यक्ति की सहमति बलपूर्वक (Forcibly), अनुचित प्रभाव (Undue Influence) या धोखाधड़ी (Fraud) से प्राप्त की गई हो, तो रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा
विधेयक महिलाओं के अधिकारों (Women's Rights) की भी रक्षा करता है। अगर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला को उसका पुरुष साथी छोड़ देता है, तो वह उससे भरण-पोषण (Maintenance) का दावा कर सकती है। इस प्रकार, यह विधेयक महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा (Financial Security) प्रदान करने का प्रयास करता है।