पिता की इस प्रॉपर्टी में बेटी को नही मिलेगा कोई अधिकार, जाने कोर्ट के फैसलें का कारण

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में तलाकशुदा बेटी के संपत्ति अधिकारों को लेकर निर्णय सुनाया है, जिसमें उन्हें पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं माना गया है.
 

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में तलाकशुदा बेटी के संपत्ति अधिकारों को लेकर निर्णय सुनाया है, जिसमें उन्हें पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं माना गया है.

कोर्ट का बड़ा फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि अगर बेटी तलाकशुदा है और वह अपने पिता की मृत्यु के समय उनके आश्रित नहीं है, तो उसे संपत्ति (Property Rights) में कोई अधिकार नहीं है. यह फैसला भारतीय संविधान (Indian Constitution) के अंतर्गत उत्तराधिकार के नियमों के आधार पर दिया गया है.

परिस्थितियां जिनमें बेटी के अधिकार सीमित 

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन परिस्थितियों में बेटी अपने पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं रखती, वह तब है जब वह विवाहित है या तलाकशुदा है और खुद का आर्थिक संसाधन है. यह निर्णय विशेष रूप से तब लिया गया जब महिला ने अपनी मां और भाई से गुजारा भत्ता (Alimony) मांगने का प्रयास किया था.

याचिकाकर्ता की अपील

इस मामले में याचिकाकर्ता महिला ने दावा किया था कि उसे उसके पिता की मृत्यु के समय उत्तराधिकार के तौर पर कोई कानूनी हिस्सा नहीं मिला था. उसने यह भी बताया कि उसकी मां और भाई ने उसे गुजारा भत्ता देने का आश्वासन दिया था, जो बाद में बंद कर दिया गया.

महिला का तलाक और उसके परिणाम 

महिला का तलाक सितंबर 2001 में हुआ था और उसके पति से उसे कोई भरण-पोषण भत्ता नहीं मिला था. कोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिया कि महिला अपनी मां और भाई से भरण-पोषण भत्ता मांग रही थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया क्योंकि वह हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम (HAMA) के तहत आश्रित मानी जाती नहीं थी.

जस्टिस की राय

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा और सुरेश कुमार केट की बेंच ने स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का दावा केवल उन आश्रितों के लिए है जो वास्तव में भरण-पोषण की जरूरत में हैं. इस निर्णय से उन तलाकशुदा महिलाओं पर प्रभाव पड़ेगा जो अपने पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा करती हैं.