दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से घंटो का सफर होगा आरामदायक, जंगल के ऊपर से होकर गुजरेगा अनोखा एक्सप्रेसवे

देश के सबसे महत्वपूर्ण हाईवे प्रोजेक्ट्स में से एक दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से हो रहा है.
 

New Expressway: देश के सबसे महत्वपूर्ण हाईवे प्रोजेक्ट्स में से एक दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से हो रहा है. इंडियन नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) के मुताबिक इस एक्सप्रेसवे का करीब 90% काम पूरा हो चुका है और इसे जून तक पूरा कर लेने की उम्मीद जताई जा रही है. यह परियोजना न केवल यात्रा को आसान बनाएगी बल्कि समय की बचत भी करेगी.

एशिया का सबसे लंबा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे में एक विशेष आकर्षण है एशिया का सबसे लंबा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर (Asia's longest wildlife corridor). इस कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park) के अंतर्गत आता है. यहां 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड फ्लाईओवर बनाया जा रहा है ताकि जंगली जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और यात्री जंगल सफारी का आनंद ले सकें.

सफर का समय होगा आधा

वर्तमान में दिल्ली से देहरादून पहुंचने में 6.5 घंटे लगते हैं लेकिन एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद यह समय घटकर केवल 2.5 घंटे रह जाएगा. यह 6-लेन का एक्सप्रेसवे (6-lane expressway) दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर बागपत, शामली, सहारनपुर होते हुए देहरादून तक जाएगा. यह उत्तराखंड के प्रमुख शहरों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा.

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12,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा है

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे 12,000 करोड़ रुपये (Delhi-Dehradun Expressway project cost) की लागत से तैयार हो रहा है. इसमें न केवल यातायात की सुविधा दी गई है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा गया है. बारिश के पानी की निकासी के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं और फ्लाईओवर का निर्माण जंगली जीवों के लिए सुरक्षित बनाया गया है.

पर्यावरण और संरचना का ध्यान

राजाजी नेशनल पार्क से होकर गुजरने वाले इस एक्सप्रेसवे में पर्यावरण संरक्षण (eco-friendly highway design) का खास ख्याल रखा गया है. यह वाइल्डलाइफ कॉरिडोर जानवरों के आवागमन को बिना बाधा के सुगम बनाएगा. इसके अलावा, बरसाती नदियों पर फ्लाईओवर के साथ-साथ वन्य जीवन के लिए विशेष सुरक्षात्मक उपाय किए गए हैं.

मई 2025 तक पूरी होगी परियोजना

नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अनुसार, इस एक्सप्रेसवे का 70% काम पहले ही पूरा हो चुका है और शेष कार्य मई 2025 तक समाप्त होने की उम्मीद है. यह परियोजना देश के हाईवे नेटवर्क को एक नई दिशा देगी और उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देगी.