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आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का वर्णन किया है। जिसमें उन्होंने सुख-दुख, करियर, व्यापार, धन, मित्र, शत्रु व परिवार आदि से जुड़े कई सवालों का जवाब दिया है।
 

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का वर्णन किया है। जिसमें उन्होंने सुख-दुख, करियर, व्यापार, धन, मित्र, शत्रु व परिवार आदि से जुड़े कई सवालों का जवाब दिया है। कहते हैं कि आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करना कठिन है।

लेकिन जिस व्यक्ति ने भी इन्हें अपना लिया उसे जीवन में कम ही असफलता का सामना करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र के एक श्लोक में बताया है कि व्यक्ति को अपनी गुप्त बातों को किन लोगों के साथ शेयर नहीं करना चाहिए।

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मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।
मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य चापि नियोजयेत् ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि व्यक्ति को अपने मन में सोचे गए विचार और योजना किसी को भूलकर भी नहीं शेयर करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि अपनी योजना को गुप्त रखकर उसकी रक्षा करनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी योजना को कोई दूसरा व्यक्ति पूरा करके आपका मान-सम्मान व श्रेय दोनों छीन सकता है। इससे आपको हानि पहुंच सकती है।

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न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ।।

चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी अपने शत्रु पर विश्वास नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही उसे अपने मित्र पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सच्चा मित्र विवाद के समय गुस्से में आपकी निजी बातों को सबके सामने ला सकता है। जिससे आपके मान-सम्मान को ठेस पहुंच सकती है। इसलिए अपनी गुप्त बातों को स्वयं तक ही सीमित रखने में भलाई है।