ट्रेन के डिब्बों का रंग का सच में ट्रेन स्पीड से होता है कनेक्शन ? जाने किस रंग के डिब्बों वाली ट्रेन दौड़ती है सबसे तेज

भारतीय रेलवे की ट्रेनें अपने अलग अलग रंगों के लिए जानी जाती हैं जो न केवल उन्हें सुंदर बनाते हैं बल्कि उनकी तकनीकी विशेषताओं को भी दर्शाते हैं। इन विविध रंगों के पीछे कई मायने छिपे होते हैं जैसे कि ट्रेन की गति, सुरक्षा उपाय और यात्रा की सुविधा। इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि कैसे ट्रेनों के डिब्बों के रंग उनकी स्पीड और अंतर को दर्शाते हैं।

 

भारतीय रेलवे की ट्रेनें अपने अलग अलग रंगों के लिए जानी जाती हैं जो न केवल उन्हें सुंदर बनाते हैं बल्कि उनकी तकनीकी विशेषताओं को भी दर्शाते हैं। इन विविध रंगों के पीछे कई मायने छिपे होते हैं जैसे कि ट्रेन की गति, सुरक्षा उपाय और यात्रा की सुविधा। इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि कैसे ट्रेनों के डिब्बों के रंग उनकी स्पीड और अंतर को दर्शाते हैं।

शताब्दी और राजधानी

शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनें, जो भारतीय रेलवे की प्रमुख हाई-स्पीड ट्रेनें हैं में अक्सर लाल रंग के कोच होते हैं। यह रंग न केवल आकर्षक होता है बल्कि यह उच्च गति और उन्नत तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक भी है। लाल रंग के कोच आमतौर पर अल्युमिनियम से बने होते हैं जो उन्हें हल्का और तेजी से चलने योग्य बनाते हैं। इन ट्रेनों की गति 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है जो उन्हें भारतीय रेलवे की सबसे तेज ट्रेनों में शामिल करती है।

नीले रंग के कोच वाली एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें

भारतीय रेल की अधिकांश ट्रेनें जैसे कि एक्सप्रेस और पैसेंजर नीले रंग के कोचों से युक्त होती हैं। यह नीला रंग शांति और विश्वसनीयता का प्रतीक है। नीले रंग के कोच भारी होते हैं और इन्हें रोकने के लिए एयर ब्रेक्स का इस्तेमाल किया जाता है जो इन्हें अधिक सुरक्षित बनाता है। ये कोच 70 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं।

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गरीब रथ के हरे और भूरे रंग के कोच

गरीब रथ जैसी ट्रेनें, जो कि आम जनता के लिए अधिक सुलभ हैं में हरे और भूरे रंग के कोच देखे जा सकते हैं। हरा रंग पर्यावरण के अनुकूल होने का संकेत देता है जबकि भूरा रंग इसकी कम लागत का प्रतीक है। ये कोच भी अपने खास डिजाइन और रंग के कारण आसानी से पहचाने जाते हैं।