कामचोर स्टूडेंट ने परीक्षा में आसान सवाल का लिखा अनोखा जवाब, पढ़ने के बाद तो आपकी भी नही रुकेगी हंसी

जैसा कि इन दिनों देशभर में परीक्षा के परिणामों की घोषणाएँ हो रही हैं। वैसे ही सोशल मीडिया पर कुछ छात्रों की आंसर शीट भी खूब वायरल हो रही हैं। हर बार की तरह इस बार भी कुछ छात्रों ने अपने हाजिरजवाबी से सबको....
 

जैसा कि इन दिनों देशभर में परीक्षा के परिणामों की घोषणाएँ हो रही हैं। वैसे ही सोशल मीडिया पर कुछ छात्रों की आंसर शीट भी खूब वायरल हो रही हैं। हर बार की तरह इस बार भी कुछ छात्रों ने अपने हाजिरजवाबी से सबको चौंका दिया है। एक ऐसी ही आंसर शीट का किस्सा इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है।

जिसमें छात्र ने अपने उत्तर से सबको हंसी के फव्वारे छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। इस तरह के मजेदार उत्तर न केवल हमें हंसाते हैं बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि शिक्षा और रचनात्मकता के बीच संतुलन कैसे महत्वपूर्ण है। ये घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि परीक्षाओं के इस मौसम में हमें छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कल्पनाशीलता को भी सराहना चाहिए।

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छात्र का जवाब और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

हाल ही में वायरल हुई आंसर शीट में एक सवाल पूछा गया था। "हमारे भोजन के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं?" इसका जवाब देते हुए छात्र ने लिखा: "1. भंडारा, 2. शादी, 3. तेरहवीं और 4. बर्थडे।" यह जवाब पढ़कर किसी की भी हंसी छूट सकती है क्योंकि इसमें जिस हास्य का पुट है, वह वाकई अनोखा है।

इस उत्तर ने छात्र को शून्य अंक तो दिलाए पर सोशल मीडिया पर वह स्टार बन गया। लोगों ने इस पोस्ट पर खूब मजेदार कमेंट्स किए। जिसमें एक व्यक्ति ने लिखा "ऐसे बच्चे आगे चलकर एमपी पटवारी परीक्षा के टॉपर बनते हैं।"

वायरल होने की वजह और समाजिक प्रभाव

इस तरह के जवाब वायरल होने की मुख्य वजह उनकी असाधारणता और मौलिकता होती है। जहाँ एक ओर शिक्षक और परीक्षक इन उत्तरों को गलत मानते हैं। वहीं सामान्य जन इन्हें नए और ताजा मिजाज का परिचायक मानते हैं। ये जवाब न केवल मनोरंजन का साधन बनते हैं बल्कि कई बार ये समाज में चल रहे रूढ़िवादी शिक्षा प्रणाली पर भी व्यंग्य कसते हैं।

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छात्रों की क्रिएटिविटी का महत्व

ऐसी वायरल आंसर शीट्स से यह भी पता चलता है कि छात्र कितने रचनात्मक और मौलिक सोच रखते हैं। शिक्षा के इस दौर में जबकि हम सभी पाठ्यक्रम और परीक्षाओं में उच्च अंक और सफलता की ओर अग्रसर हैं।

इस तरह की घटनाएँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमें छात्रों की सोच में व्यापकता और क्रिएटिविटी को भी उतनी ही महत्व देनी चाहिए। यह विचार शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली के निर्माताओं को भी शिक्षा की गुणवत्ता और पद्धति पर पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करता है।