Edible Oil Price: सातवें आसमान से औंधे मुंह गिरी फूड ऑयल की कीमतें, नया रेट सुनते ही खरीदारी करने वालों की हुई मौज

वैश्विक बाजारों में चल रही अस्थिरता ने भारतीय तेल बाजार पर भी अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। इस हफ्ते सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दामों में गिरावट देखी गई।
 

वैश्विक बाजारों में चल रही अस्थिरता ने भारतीय तेल बाजार पर भी अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। इस हफ्ते सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दामों में गिरावट देखी गई। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार शिकागो और मलेशिया के वित्तीय बाजारों में हुई गिरावट के कारण यह प्रभाव उत्पन्न हुआ है।

खाद्य तेलों के दाम में भारी गिरावट

पिछले एक महीने में सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में लगभग 10% की कमी आई है। यह गिरावट उन समयों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब इन तेलों के दामों में पहले तेजी देखी गई थी। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि इस गिरावट का असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ना चाहिए और खुदरा दामों में भी कमी आनी चाहिए।

एमएसपी से नीचे हो रही सरसों की खरीद

वर्तमान में, सरसों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम दाम पर हो रही है जिससे उत्पादकों के लिए संकट की स्थिति बनी हुई है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इससे खुदरा दामों में भी कमी आनी चाहिए जिससे उपभोक्ता को राहत मिल सके।

बाजार में विश्लेषकों की भूमिका और आगे के कदम

बाजार विश्लेषकों की इस गिरावट के दौरान एक अहम भूमिका है। उन्हें न केवल बाजार के रुख की जानकारी देनी चाहिए बल्कि खुदरा दामों को नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय सुझाने चाहिए। इससे अधिक पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ता के हित में कार्य हो सकेगा।

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आंकड़ों में तेल-तिलहनों के दाम

इस सप्ताह के दौरान, विभिन्न तेलों और तिलहनों के दामों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। सरसों तेल, मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल आदि के थोक और खुदरा दामों में कमी आई है। इस तरह के आंकड़े बाजार की मौजूदा स्थिति को समझने में मदद करते हैं और निवेशकों और उपभोक्ताओं को उचित निर्णय लेने में सहायता करते हैं।