गाड़ी की EMI ड्यू हो जाए तो भी रिकवरी एजेंट नही कर पाएंगे परेशान, ये नियम जान लोगे तो आधी समस्याएं हो जायेगी खत्म

आज कार या दो व्हीलर खरीदना काफी आसान हो गया है। यह आसान है क्योंकि लगभग हर बैंक और एनबीएफसी अच्छे फाइनेंस स्कीम्स देते हैं और लोन लेकर गाड़ी खरीदना आसान है।
 

आज कार या दो व्हीलर खरीदना काफी आसान हो गया है। यह आसान है क्योंकि लगभग हर बैंक और एनबीएफसी अच्छे फाइनेंस स्कीम्स देते हैं और लोन लेकर गाड़ी खरीदना आसान है। इसके कारण अधिकांश लोग लोन पर गाड़ी लेने लगे हैं। इसके कई फायदे हैं और कुछ नुकसान भी।

लेकिन इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि गाड़ी की कीमत एक बार में नहीं चुकानी चाहिए, बल्कि महीने की आसान किश्तों में चुकानी चाहिए। यही सरल किस्तें अक्सर महंगी भी होती हैं। जीवन में कई बार ऐसे समय आते हैं जब लोग इन EMI का भुगतान नहीं कर सकते हैं और ये ड्यू हो जाते हैं।

इसके बाद रिकवरी एजेंटों से फोन और धमकियां शुरू होती हैं। रास्ते में गाड़ी भी रोककर आपसे ले जाती है। ये सभी चीजें लोगों को मानसिक रूप से परेशान करती हैं और उनके लिए परेशानी भी पैदा करती हैं।

लेकिन क्या आपको इस तरह धमकाना सही है या फिर आपकी कार या बाइक बीच रास्ते से छीन ले जाना सही है? पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया। कोर्ट ने कहा कि कोई भी बैंक या फाइनेंस कंपनी आपकी कार या बाइक को बीच रास्ते में रोककर या खड़ी गाड़ी को उठाकर नहीं ले जा सकती।

फाइनेंस कंपनियों की टीम ऐसा करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित भी इसके लिए पुलिस शिकायत कर सकेंगे। यही नहीं, बैंकों और फाइनेंस कंपनियों द्वारा ऐसा करना कोर्ट की अवहेलना भी माना जाएगा।

पहली ईएमआई नहीं देने पर: कोई बैंक या फाइनेंस कंपनी व्यक्ति से संपर्क करेगी। बाद में आपको अगली EMI की तारीख से पहले बाउंसिंग चार्ज और पैनाल्टी के साथ किस्त का भुगतान करना होगा।

दूसरी EMI बाउंस होने पर: अगर आपके पास दो EMI बाउंस हैं, तो आप बैंक या फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी से घर पर फोन पर संपर्क कर सकते हैं। आपको बाउंसिंग चार्ज और पैनाल्टी दोनों के लिए EMI चुकानी होगी।

तीसरी EMI बाउंस होने पर: अगर आपके पास लगातार तीन EMI बाउंस हैं, तो बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट आपकी कार को जब्त करने का अधिकार रखते हैं। लेकिन उसके लिए उन्हें अपने क्षेत्र के पुलिस थाने में संपर्क कर जानकारी देनी होगी।

बैंककर्मी फिर आपके घर आते हैं और आपसे गाड़ी सरेंडर करवाते हैं। इसके तहत आपको पंद्रह से चालीस दिन का समय मिलता है। यदि आप गाड़ी की किस्तें इस दौरान जमा करवा देते हैं, तो कंपनी आपकी गाड़ी वापस कर देगी।

यदि नहीं चुकाई किस्तें तो: यदि आप किस्त बैंक की दी गई अवधि में नहीं चुका पाते हैं, तो बैंक आपकी गाड़ी को नीलाम कर देता है। नीलाम करने के बाद बैंक को मिली रकम में से बकाया राशि रखने के बाद बची हुई रकम आपके खाते में जमा कर दी जाती है। बैंक को सरफेसिया एक्ट के तहत कार्य करना चाहिए।

यदि किस्तें नहीं चुकाने के बाद आपको रास्ते में रोककर गाड़ी देने की बात कहता है या फिर आपसे जबरन गाड़ी लेने की कोशिश करता है, तो आप इसका विरोध कर सकते हैं। इसके अलावा, आप पुलिस को फोन कर सकते हैं। ऐसे व्यवहार को लेकर आप रिकवरी एजेंट और बैंक के खिलाफ भी मामला दर्ज करवा सकते हैं।