सागवान या शीशम को छोड़ इस पेड़ की खेती बना देगी मालामाल, डिमांड ऐसी की मार्केट में तगड़ा चलेगा बिजनेस

भारत में वर्षों से सागौन, शीशम, और महोगनी जैसी इमारती लकड़ियों की खेती की जाती रही है। इन पौधों की बढ़ती और तैयार होने में लंबा समय लगता है
 

भारत में वर्षों से सागौन, शीशम, और महोगनी जैसी इमारती लकड़ियों की खेती की जाती रही है। इन पौधों की बढ़ती और तैयार होने में लंबा समय लगता है और कई बार इन्हें उगाने में उम्मीद के मुताबिक आर्थिक लाभ भी नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में बागवानों में निराशा का भाव आ जाना स्वाभाविक है। आज हम आपको मालाबार नीम की खेती के बारे में बता रहे हैं, जिसकी खेती से केवल 6 से 10 साल में ही आपको करोड़ों रुपये की आमदनी हो सकती है।

मालाबार नीम की खासियत

पश्चिम चंपारण जिले में जहां किसान परंपरागत रूप से बंजर भूमि पर सफेदा और पॉपुलर के पौधे लगाते थे वहां अब मालाबार नीम की खेती ने जड़ें जमा ली हैं। सफेदा और पॉपुलर की अपनी समस्याएं हैं जैसे कि सफेदा खेतों से पानी और नमी सोख लेता है और पॉपुलर के पत्ते झड़ने से खेती प्रभावित होती है। मालाबार नीम, जिसे मिलिया दुबिया भी कहा जाता है इस समस्या का एक बेहतरीन समाधान है। इस पेड़ की विशेषता यह है कि यह मात्र 6 साल में व्यवसायिक रूप से काटे जाने योग्य हो जाता है और उच्च मात्रा में आय देता है।

6 साल में विशाल आय की संभावना

रविकांत पांडे, एक स्थानीय किसान, ने बताया कि मालाबार नीम की खेती से उन्होंने 6 साल के भीतर प्रति पेड़ से 6000 रुपये तक की कमाई की है, जो कि एक एकड़ में लगे करीब 350 पेड़ों से करीब 21 लाख रुपये बनती है। इस तरह की खेती से न केवल आय का अवसर बढ़ता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देता है।

10 साल के निवेश पर बड़ी वापसी

अगर मालाबार नीम के पेड़ को 10 साल तक उगाया जाए तो उनकी कीमत और भी बढ़ जाती है। 10 साल बाद, ये पेड़ फर्नीचर बनाने के लिए उचित माने जाते हैं, और उनकी कीमत 1000 रुपये प्रति स्क्वायर फुट तक पहुंच सकती है। इस हिसाब से एक पेड़ से 30,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है, जो कि 350 पेड़ों पर एक करोड़ से अधिक होती है।