किसान खेती के साथ शुरू कर सकते है ये कमाल का बिजनेस, प्रॉफ़िट देखकर तो हो जाएगी मौज

कृषि व्यवसाय के विविध आयामों में मुर्गीपालन एक ऐसा क्षेत्र है जो किसानों के लिए न केवल आर्थिक सुदृढ़ता लाने में सहायक सिद्ध हुआ है बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
 

कृषि व्यवसाय के विविध आयामों में मुर्गीपालन एक ऐसा क्षेत्र है जो किसानों के लिए न केवल आर्थिक सुदृढ़ता लाने में सहायक सिद्ध हुआ है बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषकर बांका जिले के किसानों ने इस व्यवसाय को अपनाकर अच्छी कमाई की मिसाल पेश की है।

रतन कुमार सिंह की सफलता की कहानी न सिर्फ उनके लिए बल्कि उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो व्यवसायिक कृषि में अपना करियर बनाने की सोच रहे हैं। मुर्गीपालन जैसे व्यवसाय से न केवल अच्छी कमाई होती है बल्कि यह ग्रामीण आर्थिक विकास में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।

रतन कुमार सिंह की सफलता की कहानी

रजौन प्रखंड के पदमपुर हरचंडी गांव के रतन कुमार सिंह ने 520 मुर्गियों के साथ इस व्यवसाय की शुरुआत की थी। उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने उनके पोल्ट्री फार्म और फीड बिजनेस को सालाना करोड़ों रुपये के टर्नओवर तक पहुंचा दिया है जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार मिला है।

शुरुआती चुनौतियां और उनका समाधान

अपने शुरुआती दौर में रतन को घाटे का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि पहले एक चूजा तैयार करने में 120 रुपये की लागत आई जबकि बाजार में उसे 110 रुपये में बेचना पड़ा। लॉकडाउन के दौरान इस व्यवसाय में और भी नुकसान हुआ। हालांकि दोस्तों की सलाह और खुद की समझदारी से उन्होंने इस व्यवसाय को फिर से खड़ा किया और एक सफल पोल्ट्री फार्म की नींव रखी।

व्यवसाय की वृद्धि और उसका प्रभाव

उनका यह व्यवसाय न केवल रजौन में फल-फूल रहा है बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड के गोड्डा में भी उनके पोल्ट्री फार्म सफलतापूर्वक चल रहे हैं। उनके फार्म का सालाना टर्नओवर अब तीन करोड़ रुपये है जो उनकी अथक परिश्रम और दृढ़ निश्चय की कहानी कहता है।

मुर्गीपालन के साथ-साथ मछली पालन

रतन कुमार सिंह ने मुर्गीपालन के व्यवसाय के स्थापित हो जाने के बाद मछली पालन में भी हाथ आजमाया जिससे उनकी आमदनी में और इजाफा हुआ। उनकी यह पहल न केवल उन्हें बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध हुई है।