भारत में इस कारण सरकार को छापने पड़े थे जीरो रुपए के नोट, वजह जानकर तो आपको भी होगी हैरानी
जब हम नोटों की बात करते हैं तो हमारे जेहन में 1 2 5 10 जैसे मूल्यों के नोट आते हैं। 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी ने 500 और 1000 के नोटों को इतिहास की बात बना दिया। नए 500 और 2000 के नोटों ने बाजार में जगह बनाई। हमारे देश के इतिहास में 10,000 के नोट भी छप चुके हैं। परंतु क्या आपने कभी 0 रुपये के नोट के बारे में सुना है?
यह सवाल सुनने में जितना अजीब लगता है इसकी वास्तविकता उतनी ही रोचक है। 0 रुपये के नोट ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अनोखी लड़ाई की शुरुआत की बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे नवाचार और सामाजिक जागरूकता मिलकर बड़े परिवर्तन की नींव रख सकते हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अनोखी पहल
भारत जैसे विशाल देश में जहाँ भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है 0 रुपये के नोट की पहल एक नई दिशा प्रदान करती है। इस पहल का उद्देश्य था भ्रष्टाचार के खिलाफ जन जागरूकता फैलाना। इस नोट को छापने का विचार अनूठा था और इसे साकार रूप दिया गया था एक NGO द्वारा जिसने इसे एक शिक्षाप्रद उदाहरण के रूप में पेश किया।
कौन है इस अभिनव पहल के पीछे?
इस नोट को छापने की अनूठी पहल को वास्तविकता में लाया गया तमिलनाडु के एक NGO द्वारा जिसका नाम है फिफ्थ पिलर। 2007 में इस एनजीओ ने हिंदी तेलुगू कन्नड़ और मलयालम भाषाओं में 0 रुपये के नोट छापे। इस नोट पर लिखा गया था "ना तो मैं रिश्वत लूंगा और ना ही दूंगा," जो लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रेरित करता है।
जागरूकता फैलाने का एक जबरदस्त तरीका
इस अभियान के तहत फिफ्थ पिलर के सदस्यों ने विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर जाकर 0 रुपये के नोट बांटे। इसके साथ ही उन्होंने एक पर्चा भी वितरित किया जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की जानकारी दी गई थी। यह एक सामाजिक जागरूकता अभियान था जिसका उद्देश्य रिश्वतखोरी को रोकना और आम जनता को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करना था।
एक नोट जो बदलाव की आशा जगाता है
0 रुपये का यह नोट महज एक कागज का टुकड़ा नहीं है। यह एक प्रतीक है जो समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता और विरोध की भावना को प्रेरित करता है। महात्मा गांधी की तस्वीर वाले इस नोट पर लिखे गए स्लोगन "भ्रष्टाचार खत्म करो," "अगर कोई रिश्वत मांगे तो इस नोट को दें और मामले को हमें बताएं," और "ना लेने की ना देने की कसम खाते हैं," समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन की आशा जगाते हैं।