बॉर्डर एरिया में सरकार ने मधुमक्खियों के छत्ते लगाने के दिए आदेश, जाने इसके पीछे का क्या है असली प्लान

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक नई और अनूठी पहल की घोषणा की है। जिसके तहत भारत की सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाने का निर्देश सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को दिया गया है।
 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक नई और अनूठी पहल की घोषणा की है। जिसके तहत भारत की सीमा पर मधुमक्खियों के छत्ते लगाने का निर्देश सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को दिया गया है। यह निर्णय भारतीय सीमा की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजन के उद्देश्य से लिया गया है।

इस योजना का प्रायोगिक आधार पर पश्चिम बंगाल में शुरुआत की गई है। जहां इसके सफल परिणाम देखे गए हैं। यह न केवल सीमा सुरक्षा को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करने में भी मदद करेगा।

बीएसएफ यूनिट द्वारा मधुमक्खी छत्ता मॉडल की सफलता

पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ की 32वीं बटालियन ने मधुमक्खी छत्ता मॉडल को सफलतापूर्वक लागू किया है। इस मॉडल को अपनाने के बाद सीमा पर विभिन्न प्रकार की तस्करी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में कमी आई है।

इस मॉडल की सफलता ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के नेतृत्व में आयोजित बैठक में भी विशेष चर्चा का विषय बनी। जिसके फलस्वरूप इसे अन्य सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लागू करने का निर्देश दिया गया।

रोजगार सृजन और सीमा सुरक्षा में इसका महत्व

मधुमक्खी छत्ता मॉडल न केवल सीमा सुरक्षा को मजबूती प्रदान करता है। बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करता है। इस मॉडल के तहत स्थानीय लोगों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण और संसाधन मुहैया कराए जाते हैं। जिससे वे अपनी आजीविका चला सकें और सीमा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रख सकें।

केंद्र सरकार की योजना को बड़े स्तर पर स्वीकृति

इस पहल को बड़े स्तर पर स्वीकृति मिल रही है और यह भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के नये तरीकों के रूप में उभर रहा है। यह पहल सीमा पर तैनात सभी 12 लाख कर्मियों को नई तकनीकों और तरीकों से जोड़ेगी जो कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा, नक्सल रोधी अभियान, आतंकवाद और उग्रवाद रोधी कर्तव्यों में लगे हुए हैं।