यहां लोगों पैरों की बजाय लकड़ी के डंडों पर चलना पसंद करते है लोग, जाने इसके पीछे का मजेदार कारण

दुनिया भर में कई ऐसी जनजातियां हैं जिनके जीवनशैली और रीति-रिवाज हमें आश्चर्यचकित कर देते हैं। इथियोपिया की बन्ना जनजाति ऐसी ही एक जनजाति है जिसके अनोखे तौर-तरीके हमें उनकी संस्कृति और जीवन की गहराई में ले जाते हैं।
 

दुनिया भर में कई ऐसी जनजातियां हैं जिनके जीवनशैली और रीति-रिवाज हमें आश्चर्यचकित कर देते हैं। इथियोपिया की बन्ना जनजाति ऐसी ही एक जनजाति है जिसके अनोखे तौर-तरीके हमें उनकी संस्कृति और जीवन की गहराई में ले जाते हैं। यह जनजाति न केवल अपनी मान्यताओं और रिवाजों को कायम रखती है बल्कि उनके जीवन में कई रोचक पहलू भी शामिल हैं।

लकड़ी के डंडों पर चलने का कारण

बन्ना जनजाति के लोग लकड़ी के डंडों पर चलने की परंपरा को कई पीढ़ियों से निभा रहे हैं। यह उनके लिए सिर्फ चलने का एक तरीका नहीं बल्कि इसके पीछे कई सांस्कृतिक महत्व भी छिपे होते हैं। मुख्य रूप से यह प्रथा उन्हें जंगली जानवरों से बचाती है जब वे अपने मवेशियों को चराने जाते हैं। लकड़ी के ऊंचे डंडों पर चलकर वे न केवल सुरक्षित रहते हैं, बल्कि आसानी से मवेशियों को हंकाल सकते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

बन्ना जनजाति में लकड़ी के डंडों पर चलने का एक विशेष सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। विशेष उत्सवों पर अविवाहित युवक अपने शरीर पर सफेद धारियां बनाकर इन लकड़ियों पर चलते हैं। इससे उनकी योग्यता, संतुलन और साहस का पता चलता है। यह दर्शाता है कि ये युवक अब समझदार और जिम्मेदार हो गए हैं जो अपने परिवार और समुदाय चला सकते हैं।

जनजाति का धार्मिक और आर्थिक जीवन

बन्ना जनजाति के लोग धार्मिक रूप से इस्लाम और ईसाई धर्म को मानते हैं। उनका मुख्य काम खेती करना, शिकार करना और मवेशियों को चराना है। इस तरह के आर्थिक गतिविधियां उन्हें अपनी जीविका चलाने में सहायता करती हैं और उनकी संस्कृति को भी जीवित रखती हैं।

वैश्विक मान्यता और संरक्षण

बन्ना जनजाति जैसी जनजातियों को विश्व भर में संरक्षण और मान्यता मिलनी चाहिए क्योंकि ये न केवल अपनी परंपराओं को संजोए रखती हैं बल्कि विविधतापूर्ण संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व भी करती हैं। इनकी अनोखी जीवन शैली और सामाजिक रूपरेखाएं हमें यह सिखाती हैं कि हमारे ग्रह पर जीवन कितना विभिन्न और अनमोल है।