शराब बेचने का लाइसेंस लेने के लिए कितना आता है खर्चा, जाने कैसे करना होता है अप्लाई

भारत में विभिन्न सामाजिक समारोहों और उत्सवों में शराब का उपभोग एक आम बात है। चाहे खुशी का अवसर हो या गम का माहौल शराब के बिना कई लोगों का जश्न अधूरा माना जाता है।
 

भारत में विभिन्न सामाजिक समारोहों और उत्सवों में शराब का उपभोग एक आम बात है। चाहे खुशी का अवसर हो या गम का माहौल शराब के बिना कई लोगों का जश्न अधूरा माना जाता है। ऐसे में भारत में शराब की खपत का आंकड़ा बताता है कि औसतन एक व्यक्ति साल में लगभग साढ़े पांच लीटर शराब का सेवन करता है।

इस बड़े आंकड़े को देखते हुए शराब बेचने के लिए सरकार ने कुछ विशेष नियम और कानून भी बनाए हैं। शराब विक्रेता के रूप में लाइसेंस प्राप्त करना केवल व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है।

इसके साथ ही जिम्मेदारी भी आती है कि विक्रेता नियमों का स्त्रैण रूप से पालन करें और उपभोक्ताओं की सुरक्षा और संतुष्टि सुनिश्चित करें। यह व्यवसाय न केवल आर्थिक लाभ प्रदान करता है बल्कि समाज में एक जिम्मेदारी के साथ भी आता है।

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शराब बेचने के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया

भारत में शराब बेचना या उसकी दुकान खोलना बिना लाइसेंस के संभव नहीं है। इसके लिए व्यक्ति को सरकारी अनुमति और लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया न केवल जटिल है बल्कि इसमें काफी खर्च भी आता है।

लाइसेंस की फीस ₹2,00,000 से लेकर ₹20,00,000 तक हो सकती है। इसके लिए आपको स्थानीय एक्साइज विभाग से संपर्क करना होता है और वहां से सभी जरूरी जानकारियां और अनुमतियां प्राप्त करनी होती हैं।

लाइसेंस प्राप्ति के लिए आवश्यक दस्तावेज

शराब के लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इनमें संपत्ति से संबंधित दस्तावेज, व्यक्तिगत पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, व्यावसायिक पैन कार्ड, जीएसटी नंबर और ईमेल आईडी शामिल हैं।

ये सभी दस्तावेज आपके आवेदन को मजबूती प्रदान करते हैं और सरकारी विभागों में आपकी प्रामाणिकता को साबित करने में मदद करते हैं।

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आवेदन की प्रक्रिया और नियम

आवेदन की प्रक्रिया में आपको पहले एक्साइज विभाग में ऑफलाइन या ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद नगर निगम या नगर पालिका से दुकान के लिए लाइसेंस और जीएसटी नंबर लेना होता है। इस प्रक्रिया में एमएसएमई सर्टिफिकेट का होना भी जरूरी है।

जो कि आपके व्यवसाय को छोटे और मध्यम उद्यम के रूप में पंजीकृत करता है। यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है। लेकिन सभी कानूनी नियमों का पालन करने से आप बाद में किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से बच सकते हैं।