भारत में 10 लाख की गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवाने में कितना आता है खर्चा, गाड़ी लेने का सोच रहे है तो जान लो पूरा हिसाब किताब

जब भी हम नई गाड़ी खरीदने की सोचते हैं तो सामने दो प्रकार की कीमतें आती हैं: एक्स शोरूम कीमत और ऑन रोड कीमत। एक्स शोरूम कीमत में सिर्फ गाड़ी की बेसिक कॉस्ट होती है जबकि ऑन रोड कीमत में कई तरह के...
 

जब भी हम नई गाड़ी खरीदने की सोचते हैं तो सामने दो प्रकार की कीमतें आती हैं: एक्स शोरूम कीमत और ऑन रोड कीमत। एक्स शोरूम कीमत में सिर्फ गाड़ी की बेसिक कॉस्ट होती है जबकि ऑन रोड कीमत में कई तरह के अतिरिक्त खर्च जुड़े होते हैं जैसे कि रजिस्ट्रेशन फीस रोड टैक्स और बीमा आदि।

आज हम विस्तार से जानेंगे कि नई गाड़ी खरीदते समय किन-किन खर्चों का सामना करना पड़ सकता है। नई गाड़ी खरीदने पर आने वाले ये अतिरिक्त खर्च आपकी कुल लागत को काफी बढ़ा देते हैं। इसलिए गाड़ी खरीदते समय सभी खर्चों की जानकारी रखना और उनकी तैयारी करना अत्यंत आवश्यक है।

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जीएसटी और अन्य कराधान

नई गाड़ी खरीदते समय जीएसटी एक प्रमुख खर्च होता है जिसका भुगतान राज्य सरकार के नियमों के अनुसार किया जाता है। जीएसटी के अलावा गाड़ी पर अतिरिक्त सेस और सरचार्ज भी लग सकते हैं जो कुल मूल्य को काफी बढ़ा देते हैं। इन टैक्सों की वजह से ऑन रोड कीमत एक्स शोरूम कीमत से काफी अधिक हो जाती है।

हाईपोथेकेशन चार्ज और प्रोसेसिंग फीस

अगर आप गाड़ी लोन पर खरीद रहे हैं तो हाईपोथेकेशन चार्ज लागू होता है। यह एक प्रकार का कानूनी शुल्क है जो बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा लिया जाता है। इसके अलावा ₹1500 तक की प्रोसेसिंग फीस भी लग सकती है जो लोन की प्रक्रिया के लिए वसूली जाती है।

नंबर प्लेट और रोड टैक्स

नई गाड़ी के लिए हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य है जिसके लिए ₹200 से ₹400 तक का खर्च आ सकता है। रोड टैक्स राज्य द्वारा तय किया जाता है जैसे कि उत्तर प्रदेश में गाड़ी की कीमत का 3% से 6% तक रोड टैक्स लिया जा सकता है। यह टैक्स गाड़ी की कीमत और इंजन की क्षमता पर निर्भर करता है।

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टेम्पररी नंबर प्लेट का खर्च

यदि आप टेम्पररी नंबर प्लेट का विकल्प चुनते हैं तो इसके लिए ₹1500 से ₹2500 तक खर्च आ सकता है। यह नंबर प्लेट केवल एक महीने के लिए वैध होती है और इसे बाद में स्थायी नंबर प्लेट से बदलना पड़ता है।