कैसे IP की मदद से पुलिस पता लगा लेती है किसी की लोकेशन, शातिर से शातिर क्रिमिनल्स भी कर बैठते है ये गलती

हाल ही में दिल्ली और नोएडा के कुछ स्कूलों में बम रखे जाने की धमकी भरे ईमेल मिलने की खबर ने खलबली मचा दी। ये ईमेल किसी अज्ञात स्रोत से आये थे जिनमें दावा किया गया था कि स्कूलों में बम रखा गया है।

 

हाल ही में दिल्ली और नोएडा के कुछ स्कूलों में बम रखे जाने की धमकी भरे ईमेल मिलने की खबर ने खलबली मचा दी। ये ईमेल किसी अज्ञात स्रोत से आये थे जिनमें दावा किया गया था कि स्कूलों में बम रखा गया है।

इस सूचना के आधार पर तुरंत पुलिस की टीमों ने जांच प्रारम्भ की लेकिन जांच के बावजूद कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि ये ईमेल किसने और कहाँ से भेजे हैं।\

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अंतरराष्ट्रीय IP पते का उपयोग और इसकी पहेली

प्रारंभिक जांच में पता चला कि धमकी भरे ईमेल के लिए इस्तेमाल किया गया IP पता विदेशी है। इससे यह आशंका जताई गई है कि हो सकता है कि धमकी भेजने वाला कोई भारतीय ही हो और उसने विदेशी IP पते का इस्तेमाल किया हो।

यह जानकारी देने के लिए कि कैसे कोई व्यक्ति विदेशी IP का उपयोग कर सकता है यह समझना जरूरी है कि VPN या Proxy सेवाएं किस प्रकार काम करती हैं।

VPN का प्रयोग और इसका उपयोग 

VPN या वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एक ऐसी तकनीक है जो यूजर्स की ऑनलाइन पहचान को छुपा कर उसे दूसरे स्थान की IP प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में यूजर्स का वास्तविक IP पता छुप जाता है और वह दूसरे देश का IP प्रयोग कर सकता है। यही वजह है कि ईमेल भेजने वाले की वास्तविक लोकेशन का पता लगाना कठिन हो जाता है।

IP ऐड्रेस का महत्व और इसे ट्रेस करने की प्रक्रिया

IP एड्रेस जो कि इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस का संक्षिप्त रूप है इंटरनेट पर किसी भी डिवाइस की यूनिक पहचान होती है। यह डिवाइस को इंटरनेट पर पहचानने में मदद करता है। IP एड्रेस के जरिए लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियां जानकारी एकत्र कर सकती हैं और संभवत: संदिग्धों का पता लगा सकती हैं भले ही वे VPN या प्रॉक्सी का इस्तेमाल कर रहे हों।

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सुरक्षा और प्राइवेसी के बीच संतुलन

इस घटना ने एक बार फिर सुरक्षा और प्राइवेसी के बीच के संतुलन की चर्चा को जन्म दिया है। जहां एक ओर VPN और प्रॉक्सी जैसी सेवाएं उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन प्राइवेसी प्रदान करती हैं वहीं यह अपराधियों को भी अपनी पहचान छुपाने का अवसर देती हैं। इसलिए तकनीकी विकास के साथ ही कानूनी और नैतिक मानकों का विकास भी जरूरी है।