इंटरनेट चलाने के लिए घर पर WiFi राउटर लगा रहे है तो मत करना ये गलती,  वरना बाद में होगा पछतावा

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है उपभोक्ताओं के लिए नए विकल्प सामने आ रहे हैं। Wi-Fi 6E राउटर्स जो कि उच्चतर 6 GHz स्पेक्ट्रम बैंड का समर्थन करते हैं ऐसी ही एक नई तकनीक है जो उपभोक्ताओं को अधिक...
 

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है उपभोक्ताओं के लिए नए विकल्प सामने आ रहे हैं। Wi-Fi 6E राउटर्स जो कि उच्चतर 6 GHz स्पेक्ट्रम बैंड का समर्थन करते हैं ऐसी ही एक नई तकनीक है जो उपभोक्ताओं को अधिक तेज और स्थिर इंटरनेट स्पीड प्रदान करती है।

हालांकि भारतीय सरकार ने इस तकनीक के वितरण पर अभी अनुमति नहीं दी है जिससे कई उपभोक्ता और विक्रेता असमंजस में हैं। जो उपभोक्ता इन राउटर्स को खरीद चुके हैं या खरीदने की सोच रहे हैं उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

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यदि वे इन डिवाइसेज का उपयोग करते पाए गए। भारतीय टेलीकॉम एक्ट 2023 के अनुसार किसी भी स्पेक्ट्रम का उपयोग करने के लिए सरकारी अनुमति अनिवार्य है। आगे चलकर सरकार और नियामक संस्थाओं को इस तकनीक के वितरण को विनियमित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और पॉलिसी जारी करनी होगी ताकि उपभोक्ता सुरक्षित और अधिकृत तरीके से नई तकनीक का लाभ उठा सकें।

बिक्री पर प्रतिबंध के पीछे की वजह

सरकार का मानना है कि Wi-Fi 6E राउटर्स की बिक्री अगर बिना उचित प्राधिकरण के होती है तो यह अनधिकृत ट्रांसमिशन को जन्म दे सकता है जिससे सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने भी इसी चिंता को व्यक्त करते हुए दूरसंचार विभाग (DoT) से इस पर कड़ाई से प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की सुरक्षा और नेटवर्क की अखंडता सुनिश्चित करना है।

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उपभोक्ताओं पर प्रभाव

इस प्रतिबंध से वे उपभोक्ता सबसे अधिक प्रभावित होंगे जिन्होंने नई तकनीक को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाया था। Wi-Fi 6E राउटर्स की खरीदारी कर चुके उपभोक्ताओं को अब अपने डिवाइसेज का उपयोग करने में कानूनी अडचनें आ सकती हैं।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे कि Amazon और Flipkart पर ये उपकरण अभी भी उपलब्ध हैं जो कि उपभोक्ताओं के लिए भ्रम की स्थिति उत्पन्न करते हैं।