अखबार में पैक हुआ खाना खाते है तो आज ही कर दे बंद, वरना जिंदगीभर करेंगे अफसोस

भारत में यह एक आम दृश्य है कि लोग ट्रेन यात्रा के दौरान या ऑफिस जाते समय अपने टिफिन के खाने को अखबार में लपेट कर ले जाते हैं। इस परंपरा का मुख्य कारण है व्यावहारिक सुविधा और संसाधनों का अभाव। अखबार जो कि आसानी से उपलब्ध होता है और कम लागत में आता है इसका उपयोग अन्य पैकेजिंग मटेरियल के ऑप्शन के रूप में किया जाता है।

 

भारत में यह एक आम दृश्य है कि लोग ट्रेन यात्रा के दौरान या ऑफिस जाते समय अपने टिफिन के खाने को अखबार में लपेट कर ले जाते हैं। इस परंपरा का मुख्य कारण है व्यावहारिक सुविधा और संसाधनों का अभाव। अखबार जो कि आसानी से उपलब्ध होता है और कम लागत में आता है इसका उपयोग अन्य पैकेजिंग मटेरियल के ऑप्शन के रूप में किया जाता है।

स्वास्थ्य पर असर

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने इस प्रथा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। अखबार में इस्तेमाल होने वाली स्याही में कई तरह के बायोएक्टिव और भारी धातुओं जैसे सीसा होता है जो खाने के संपर्क में आने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इन रसायनों का खाने के साथ मिश्रण स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि फूड पॉइजनिंग, पाचन संबंधी विकार, और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

खाना स्टोरेज के सुरक्षित ऑप्शन 

अखबार की जगह खाने को सुरक्षित रूप से स्टोर करने के लिए FSSAI ने खाना रखने के लिए सुरक्षित मटेरियल्स का उपयोग करने की सलाह दी है। इसमें फूड-ग्रेड प्लास्टिक, एल्युमिनियम फॉयल या बीएपीए-फ्री कंटेनर्स शामिल हैं, जो खाने को सुरक्षित रखते हैं और स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं बनाते।

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सामाजिक जागरूकता और शिक्षा का महत्व

FSSAI इस दिशा में राज्य खाद्य अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि इस तरह की अस्वास्थ्यकर प्रथाओं को रोका जा सके। यह जरूरी है कि लोगों को खाने की सुरक्षा के प्रति शिक्षित किया जाए और सही जानकारी प्रदान की जाए।