कहीं उम्र से पहले ही आपके बच्चों की कमजोर ना हो जाए आंखे, इन 6 बातों का ध्यान रखोगे तो नही पड़ेगी चश्मा की जरुरत

आप अपने बच्चों की आंखों की रोशनी को कमजोर होने से बचाने के लिए उनके जीवनशैली में कुछ बदलाव कर सकते हैं। जब एक बच्चे का जन्म होता है, उसकी आंखें बहुत से बदलाव से गुजरना शुरू हो जाती हैं।
 

आप अपने बच्चों की आंखों की रोशनी को कमजोर होने से बचाने के लिए उनके जीवनशैली में कुछ बदलाव कर सकते हैं। जब एक बच्चे का जन्म होता है, उसकी आंखें बहुत से बदलाव से गुजरना शुरू हो जाती हैं। जब वे जन्म लेते हैं और स्कूल जाते हैं

उनकी आंखों की रोशनी में काफी चेंजेज़ आते हैं। ऐसे में उनके व्यवहार पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। जॉन्स हॉपकिन्स नेत्र रोग विशेषज्ञ कर्टनी क्रॉस ने बताया कि बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखने के लिए पेरेंट्स कुछ चीजों का ध्यान रख सकते हैं।

इन चीजों की तरफ देखने से बचाएं

न् यू बॉन बेबी या पांच साल से छोटी उम्र के बच्चों को चमकदार, रंगीन और उच्च क्रॉन् ट्रास् ट सामग्री देखने से बचाएं। उन्हें हर समय बाहर नई चीजों को देखने के लिए प्रेरित करें। यदि आप आंख मिचौली जैसे खेल को न् यू बॉर्न या टोडलर उम्र के बच्चों के साथ खेलते हैं, तो वे हर एंकल में अपनी आंखें घुमाकर हर चीज को गौर से देखेंगे।

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि 90% बच्चों को आंखों की चोटों से बचाया जा सकता है। जब बच्चे बढ़ते हैं, उनकी आंखों को चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए वे बाहर घूमने लगते हैं। उन्हें खेलते समय नुकीली चीजों से बचाकर रखें और शैटरप्रूफ प्लास्टिक (जैसे पॉलीकार्बोनेट लेंस) चश् मा ही पहनाएं।

आंखों को हेल्‍दी रखने के लिए डाइट

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए अपने आहार में लुटेन, विटामिन ए, विटामिन ई, जिंक और ओमेगा 3 फैटी एसिड शामिल करें। विटामिन सी से भरपूर भोजन उन्हें आंखों में संक्रमण से बचाएगा। हर सब्ज़ी ड्राई आई को दूर करेगी और ओमेगा 3 ड्राई आई से बचाएगा।

आजकल हम बच्चों को मोबाइल फोन आदि दे रहे हैं, जिससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है। यही कारण है कि स्क्रीन देखने का समय कम करना महत्वपूर्ण है; स्क्रीन को आंखों से 18 से 24 इंच की दूरी पर रखें और बच्चों को 20-20-20 रूल बताएं।

ये लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्‍टर से दिखाएं

जब आप बच्चे को देखते हैं तो उस पर नजर रखें और चेकअप कराएं। डॉक्टर को तुरंत दिखाएं अगर वह रोशनी से परेशान होता है, आंखों को रगड़ते रहता है, दूर की चीजों को नहीं देखना चाहता है या चीजों को काफी करीब लेकर देखता है।

यदि आप इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखते हैं, तो आपके बच्चे की आंखें हमेशा हेल् दी रहेंगी और वे बिना किसी प्रॉब्लम के दुनिया को देख सकेंगे।