भारत में यहां बिन शादी के भी साथ रहता है कपल, संबंध बनाने की भी होती है खुली छूट

भारत में विविधता इतनी है कि हर कोने में अलग-अलग परंपराएं और रीति-रिवाज हैं. इनमें से एक विशेष परंपरा है जो आदिवासी समुदायों में प्रचलित है
 

wedding rule india: भारत में विविधता इतनी है कि हर कोने में अलग-अलग परंपराएं और रीति-रिवाज हैं. इनमें से एक विशेष परंपरा है जो आदिवासी समुदायों में प्रचलित है जहां लोग शादी से पहले साथ रहने (Living Together) की प्रथा को अपनाते हैं. यह प्रथा उनके लिए समाज के बाकी लोगों से बिलकुल अलग है.

मुरिया जनजाति का अनोखी रिवाज

छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में मुरिया जनजाति (Muria Tribe) का एक रिवाज है जिसमें शादी से पहले लड़के और लड़कियां एक विशेष घर में रहते हैं जिसे घोटुल कहा जाता है. इस दौरान, वे एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं और यह तय करते हैं कि क्या वे आगे चलकर जीवन साथी के रूप में रह सकते हैं.

घोटुल

घोटुल न केवल एक भवन है बल्कि एक सामाजिक संस्था (Social Institution) भी है जो युवाओं को अपने समाज के नियमों और मूल्यों को समझने का मौका देती है. यहां उन्हें विवाह से पहले एक सुरक्षित और स्वीकृत माहौल में एक-दूसरे के साथ समय बिताने की अनुमति होती है.

सामाजिक समर्थन और स्वीकृति

इस तरह के रिवाज में, समुदाय का हर व्यक्ति युवाओं को उनके निर्णय में समर्थन (Community Support) प्रदान करता है. यह समर्थन उन्हें न केवल अपने भविष्य के साथी को चुनने में मदद करता है बल्कि उन्हें समाज में एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में भी विकसित करता है.

परंपरा और आधुनिकता का संगम

इस परंपरा के जरिए, मुरिया समुदाय आधुनिक विचारों और प्राचीन परंपराओं के बीच संतुलन (Tradition and Modernity) बनाए रखता है. वे युवाओं को एक दूसरे के साथ रहने की आजादी देते हैं जिससे वे अपने भविष्य के निर्णय स्वयं ले सकें.

जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता

इस प्रथा के चलते, लड़के और लड़कियां अपने जीवनसाथी (Life Partner) का चयन खुद करते हैं. इससे उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की भावना विकसित होती है और यह उनके व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में मदद करता है.

सामाजिक उत्तरदायित्व और विकास

समाज में इस प्रकार के रिवाज से न केवल युवाओं को बल्कि पूरे समुदाय को भी एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलता है. यह रिवाज सामाजिक उत्तरदायित्व (Social Responsibility) की भावना को भी मजबूत करता है.

समाज में लैंगिक समानता की ओर एक कदम

यह प्रथा लैंगिक समानता (Gender Equality) की ओर भी एक कदम है क्योंकि यह दोनों लिंगों को समान अवसर प्रदान करता है. इससे लड़कियां भी अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होती हैं.