राजस्थान के इन जिलों में मजदूरी का करने वाले लोगो की किस्मत चमकी, जो कल तक कच्चे घरों में रहने को थे मजबूर, आज उनके पास है आलीशान घर, जाने कहां से आया इतना पैसा

राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों के लगभग चालिस गांवों (लुहिंगा कला और लुहिंगा खुर्द) में लोग लंबे समय से मजदूरी काम कर रहे हैं। इन लोगों के पास कोई ऐसा बड़ा साधन भी नहीं था। 
 

राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों के लगभग चालिस गांवों (लुहिंगा कला और लुहिंगा खुर्द) में लोग लंबे समय से मजदूरी काम कर रहे हैं। इन लोगों के पास कोई ऐसा बड़ा साधन भी नहीं था, जो उनकी जिंदगी को रोशन कर सकता था। लेकिन इस सब के बावजूद, उनकी जिंदगी में एक ऐसी घटना हुई, जिसकी उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।

यहां के लड़के अचानक लग्जरी कारों और KTM पर घूमने लगे। ब्रॉडेड कपड़े पहनने लगे और महंगे सैलूनों में बाल कटवाने लगे। सब कुछ चौंकाने वाला था। लॉकडाउन के बाद शुरू हुआ। यहां सवाल उठता है कि मेहनत-मजदूरी करके वाले परिवारों के लड़के इतनी आलीशान जिंदगी कैसे जीते है।

धीरे-धीरे ये सब इतना बढ़ा कि दिल्ली तक चर्चा होने लगी। लेकिन लॉकडाउन के दौरान लोगों के मन में हर बार एक ही प्रश्न उठता था: आखिर उन्हें लॉकडाउन में क्या मिल गया? 

ऐसे जुड़ा साइबर क्राइम का चैप्टर

दरअसल, इस राज को जानने के लिए हमें अधिक खोज करनी होगी। कुछ वर्ष पहले, अरावली में खनन पर प्रतिबंध लगाया गया, जिससे यहां के युवा लोगों को नौकरी नहीं मिली। बाद में उन्होंने नौकरी के लिए झारखंड की खानों में जाना शुरू किया।

जामताड़ा का गैंग वहां पहुंचने से पहले ही अपने पैर जमा चुका था। ये लोग भी साइबर ठगी के खिलाड़ी बन गए। झारखंड से वापस आकर, उन्होंने अलवर, भरतपुर और नूंह के पहाड़ी इलाकों में 'ऑनलाइन डकैती' शुरू की। 

ऐसे शुरू हुई अलवर, भरतपुर और नूंह में ऑनलाइन ठगी

लॉकडाउन के बाद लोग इंटरनेट पर आदी हो गए। लगभग सभी कार्यों को ऑनलाइन किया गया था। इन साइबर अपराधियों का प्रवेश तभी होता है। इन्होंने सैकड़ों फर्जी कॉल्स करनी शुरू कर दीं।

पुलिस को अलर्ट करने पर पता चला कि यहां से लगभग सभी राज्यों में ये कॉल्स की गईं। वर्तमान में ये देश में साइबर क्राइम का हब बन गए हैं। 

नूंह में ताबड़तोड़ साइबर अपराध 

2019 में नूंह में साइबर क्राइम का पहला केस बताया गया था। यहां के एक किसान को साइबर ठगी का आरोप लगाया गया था, लेकिन मामला किसी तरह से हल किया गया। जानकारों ने बताया कि 27 अप्रैल को हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ एक व्यापक क्षेत्रीय अभियान चलाया।

जिसमें लगभग 300 स्थानों पर छापे मारे गए और 65 लोग गिरफ्तार किए गए। वहीं, मई में लक्षद्वीप के अलावा देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 28,000 कंम्लेन्स और 1346 FIR इनसे जुड़े। 

साइबर अपराधी इतना धन कहां खपाते हैं

जानकारों का मानना है कि बिना स्थानीय सहायता के कोई भी बड़ा साइबर अपराधी इतनी बड़ी साजिश कर सकता है। ये लोग सोने, क्रिप्टोकरंसी और कुछ रियल एस्टेट में निवेश करते हैं।

यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन क्षेत्रों में जो भी नए घर बनते हैं, उनमें लगभग सभी में सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं।  और गांव में आने वाले हर नए नागरिक पर निगरानी रखी जाती है।