Indian Railway: कुछ रेल्वे स्टेशनों के नाम के पीछे 'रोड' शब्द क्यों लगाया जाता है, 99 प्रतिशत लोगों को नही पता होती असली जानकारी

जब कभी भी आप रेल से यात्रा करते है। तो स्टेशनों और रेलवे लाइनों से लेकर ट्रेनों पर भी आपको विभिन्न शब्द या संकेत नजर् देते हैं। इन संकेतों या शब्दों का एक विशिष्ट अर्थ है। जो कई तरह की जानकारी समेटे हुए हैं।

 

जब कभी भी आप रेल से यात्रा करते है। तो स्टेशनों और रेलवे लाइनों से लेकर ट्रेनों पर भी आपको विभिन्न शब्द या संकेत नजर् देते हैं। इन संकेतों या शब्दों का एक विशिष्ट अर्थ है। जो कई तरह की जानकारी समेटे हुए हैं।

यहां तक कि स्टेशन के नाम से जुड़े शब्द भी किसी खास कारण से ही लगाए जाते हैं। इसी तरह आपने कुछ स्टेशनों को भी देखा होगा जिनके नाम में रोड शब्द है। उस शहर के नाम में रोड शब्द नहीं है, लेकिन स्टेशन पर शहर का नाम लिखते हुए उसमें रोड शब्द जोड़ दिया जाता है।

उदाहरण के लिए, रेलवे स्टेशनों का नाम रांची रोड, आबू रोड और हजारीबाग रोड पर लिखा है। लेकिन इन शहरों को वास्तव में कोई सड़क नहीं है। आखिर ऐसा क्यों होता है?

क्यों रोड शब्द का प्रयोग किया जाता है? 

दरअसल, रेलवे स्टेशन का नाम रोड शब्द यह दिखाता है कि वह शहर से दूर है। यानी आपको सड़क पर जाना होगा। आपको शहर से कुछ दूरी पर रेलगाड़ी ले जाती है।

भारतीय रेलवे के अधिकारी ने कहा कि रेलवे स्टेशन के साथ "रोड" शब्द का होना बताता है कि इस स्टेशन से एक रोड जाती है और उस शहर जाने वाले रेल यात्री यहीं उतरते हैं।

शहर से दूरी कितनी हो सकती है?

अब सवाल उठता है कि रोड नाम के स्टेशन से शहर की दूरी कितनी हो सकती है? इस तरह के स्टेशन से शहर 100 किलोमीटर से 2 किलोमीटर तक दूर हो सकता है। उदाहरण के लिए, कोडाईकनाल शहर कोडाईकनाल रोड से 79 किमी. दूर है।

इसी तरह, हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से हजारीबाग शहर 66 किलोमीटर और रांची रोड स्टेशन से रांची शहर 49 किलोमीटर दूर है।

इनका स्थान शहर से दूर क्यों है?

वास्तव में, रेलवे स्टेशनों को उन शहरों से दूर रखा गया था जब रेलवे लाइन को उन शहरों तक बिछाने में कोई बड़ी बाधा सामने आई। जिस प्रकार रेलवे लाइन को माउंट आबू पहाड़ पर बिछाने की लागत बहुत अधिक होगी, इस कारण रेलवे स्टेशन को आबू से 27 किलोमीटर दूर पहाड़ से नीचे बनाया गया है।