Indian Railway: कभी सोचा है कि सुपरफास्ट ट्रेन में एक्स्ट्रा किराया क्यों लेता है रेल्वे, ज्यादातर लोगों को नही पता होती सच्चाई

भारतीय रेलवे ट्रेक लंबाई के हिसाब से चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है और रेल हर आम भारतीय की जरूरत है और सुविधा का साधन भी। जब आप रेल यात्रा करते हैं, तब आपने सुना होगा या कहें यात्रा भी की होगी।
 

भारतीय रेलवे ट्रेक लंबाई के हिसाब से चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है और रेल हर आम भारतीय की जरूरत है और सुविधा का साधन भी। जब आप रेल यात्रा करते हैं, तब आपने सुना होगा या कहें यात्रा भी की होगी।

जहां कोई ट्रेन एक्सप्रेस होती है, तो किसी ट्रेन के साथ सुपरफास्ट लगा होता है और इन ट्रेन की श्रेणियों के हिसाब से ही ट्रेन का किराया भी तय होता है। क्या आप जानते हैं कैसे ट्रेन की स्पीड तय होती है और कैसे ट्रेन का किराया तय होता है।

किस ट्रेन की कितनी स्पीड

वो ट्रेन जो 50 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चलती है, उसे एक्सप्रेस मेल ट्रेन कहा जाता है। जैसे पंजाब मेल, मुंबई मेल कालका मेल आदि  वहीं वो ट्रेन जो 55 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चलती है वो ट्रेन एक्सप्रेस ट्रेन कहलाती है। इन ट्रेनों का नाम अक्सर शहरों के नाम पर होता है।

सुपर फास्ट ट्रेन की स्पीड

भारतीय रेल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यदि किसी ट्रेन की अप-डाउन की स्पीड बड़े ट्रैक पर 55 किमी प्रतिघंटा और मीडियम लाइन पर 45 किमी प्रतिघंटा से चलती है तो इसे सुपरफास्ट ट्रेन कहलाती है।

सुपर फास्ट ट्रेन की गणना एंड टू एंड दूरी की यात्रा से कुल दूरी से भाग देकर की जाती है। वहीं कुछ सुपर फास्ट ट्रेन की स्पीड 110 किमी प्रतिघंटा है और ये ट्रेन बहुत कम स्टेशनों पर रुकती हैं।

क्यों लगता है सुपरफास्ट का ज्यादा किराया

सुपरफास्ट ट्रेन मेल एक्सप्रेस से ज्यादा तेज होती हैं और इनमें सुविधाएं भी ज्यादा होती है इसलिए इनका किराया भी ज्यादा होता है। इन ट्रेनों में सुपरफास्ट का सरचार्ज जुड़ा होता है।

कैसे होता है दाम तय

एक ट्रेन टिकट में कई तरह के सरचार्ज जुड़े होते हैं, जैसे मिनिमम डिस्टेंस चार्ज, मिनिमम जनरल फेयर, रिजर्वेशन चार्ज, सुपरफास्ट चार्ज जुड़े होते हैं और इसी के आधार पर किराया तय किया जाता है।