खेत में रखवाली के लिए अजीब सा पुतला बनाने की जगह लेजर शो से होगी रखवाली, जाने कैसे काम करती है ये तकनीक
किसानों की फसलों को पक्षी बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में खेतों की 24 घंटों की रखवाली करनी होती है। यह एक बहुत ही मुश्किल समस्या मानी जाती है। इससे हर साल करोड़ों डॉलर का नुकासन होता है। इसके लिए वैसे तो स्केयरक्रो जिन्हें बिजूका कहते हैं, का इस्तेमाल होता है तो एक तरह के इंसानी पुतले होते हैं पर इसके बहुत शानदार नतीजे नहीं होते हैं।
अब वैज्ञानिकों ने इस समस्या का लेजर स्केयरक्रो के जरिए हाई टेक हल निकाल लिया है। विशेषज्ञों ने खास तौर पर अपनी नई अनोखी तकनीक का प्रदर्शन कर दिखाया है कि कैसे लेजर स्केयरक्रो से फसलों को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है।
पेस्ट मैनेजमेंट साइंस में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लेजर से बने स्कैयर क्रो का उपयोग कर स्वीट कॉर्न की फसलों की रक्षा पर उसका असर देखा। शोधकर्ताओं ने चलते हुए लेजर स्केयरक्रो का उपोयग कर उनका पक्षियों पर असर जांचा और पाया कि वे उपकरण के 20 मीटर की दूरी तक फसल की बढ़िया हिफाजत करते हैं।
अब और ज्यादा से ज्यादा किसान ऐसे सस्ते और पोर्टेबल लेजर उपकरणों का उपयोग करना चाह रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि वे 300 से 500 डॉलर मात्र में ही किसान विशाल खेतों को एक से 3 हफ्त्तों तक रक्षा कर सकते हैं जो किसी भी दूसरे तरीके से सस्ता और ज्यादा कारगर है।
इस लेजर का लंबे समय तक उपयोग करने की जरूरत नहीं होती है। अब शोधकर्ता इसका दूसरी फसलों पर असर जानने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पर्यावरण को भी काफी फायदा होगा और वन्य जीवों को भी नुकासन नहीं होगा।
क्योंकि उनसे बचने के लिए किसान पटाखे, धमाके वाली बंदूक आदि का उपयोग भी करते हैं। इससे आसपास काम कर रहे किसानों और रहवासियों को भी परेशानी नहीं होगी। नहीं फसलों के पास कोई जहरीला पदार्थ छोड़ने की जरूरत है।