शादीशुदा महिलाओं को अपने किस हाथ पर बंधवाना चाहिए कलावा, इस खास दिन ही उतारना चाहिए कलावा

हिंदू धर्म में मौली या कलावा बांधने की प्रथा बेहद प्राचीन और महत्वपूर्ण है। यह किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में बांधी जाती है और इसे रक्षा सूत्र के रूप में भी पहचाना जाता है। मौली धारण करने से न केवल धार्मिक बल्कि...
 

हिंदू धर्म में मौली या कलावा बांधने की प्रथा बेहद प्राचीन और महत्वपूर्ण है। यह किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में बांधी जाती है और इसे रक्षा सूत्र के रूप में भी पहचाना जाता है। मौली धारण करने से न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक सुरक्षा की भावना भी जुड़ी होती है।

कलावा बांधने के नियम

कलावा बांधते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है। इन नियमों में शामिल हैं:

कौन से हाथ में बांधें - कुंवारी कन्याओं और पुरुषों को दाहिने हाथ में वहीं विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।

दक्षिणा का महत्व - कलावा बंधवाते समय हमेशा अपने हाथ में दक्षिणा रखें और मुट्ठी बंद रखें।

सिर के ऊपर हाथ - एक हाथ को सिर के ऊपर रखना चाहिए ताकि ऊर्जा का संचार सही तरीके से हो सके।

लपेटने की संख्या - कलावा को हाथ में 3, 5 या 7 बार घूमाना चाहिए, जिससे इसकी शक्ति बढ़ती है।

मंत्र जाप - 'ॐयेन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल' मंत्र का जाप करते हुए कलावा बांधना चाहिए।

कलावा उतारने की विधि

कलावा उतारते समय भी कुछ विशेष दिन निर्धारित हैं, जैसे कि मंगलवार या शनिवार। उतारने के बाद कलावा को यूँ ही नहीं फेंक देना चाहिए। इसे या तो पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए या फिर बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए। इससे इसकी पवित्रता बनी रहती है और पर्यावरण के प्रति सम्मान भी जताया जाता है।

सांस्कृतिक महत्व

कलावा न केवल एक धार्मिक प्रथा है बल्कि यह हमारे संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसका पालन हमें अपने पूर्वजों की परंपराओं से जोड़े रखता है और एक सुरक्षित तथा शुभ जीवन की कामना करता है। यह हमारे दैनिक जीवन में शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है, जिसे हम गर्व से धारण करते हैं।