इस मोटे अनाज की खेती करके हो सकते है मालामाल, मार्केट में है तगड़ी डिमांड

भारत में किसानों द्वारा पारंपरिक खेती के इतर नए उपाय अपनाए जा रहे हैं.
 

Millet Farming: भारत में किसानों द्वारा पारंपरिक खेती के इतर नए उपाय अपनाए जा रहे हैं. आजमगढ़ में किसान अब गेहूं और चावल की खेती के साथ-साथ मोटे अनाजों जैसे रागी, कोदो, ज्वार, बाजरा, और मक्का की खेती में भी रुचि दिखा रहे हैं. इन फसलों की खेती से किसानों को कई फायदे हो रहे हैं विशेषकर मार्केट में इनकी बढ़ती डिमांड के कारण.

मिलेट्स की बढ़ती मांग और फायदे 

मिलेट्स के पौष्टिक गुणों और सुपाच्य होने की वजह से, बाजार में इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है. मल्टीग्रेन आटे (multigrain flour) मक्के के दलिये और बाजरे की उपलब्धता ने किसानों को इन फसलों की ओर आकर्षित किया है जिससे उनकी आमदनी में भी सुधार हो रहा है.

कृषि विज्ञान केंद्र की भूमिका 

डॉक्टर अखिलेश यादव के नेतृत्व में कृषि विज्ञान केंद्र आजमगढ़ ने किसानों को मिलेट्स खेती के लिए प्रोत्साहित किया है. केंद्र द्वारा मिलेट्स के बीज उपलब्ध कराने के साथ-साथ फसलों की कम लागत और कम जल आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है जिससे किसान कम निवेश में अधिक लाभ कमा सकें.

मिलेट्स और स्वास्थ्य लाभ 

 पौष्टिकता से भरपूर मिलेट्स न केवल डायबिटीज और ब्लड प्रेशर (diabetes and blood pressure) के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं बल्कि इनके सेवन से पाचन तंत्र भी मजबूत होता है. इन अनाजों का उपयोग करने से मिलेट्स बेस्ड उत्पाद जैसे बिस्किट और दलिया भी तैयार किए जा रहे हैं जिनकी मार्केट में भी अच्छी खासी डिमांड है.

भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं 

मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में कृषि विज्ञान केंद्र और सरकारी नीतियों का समर्थन किसानों के लिए नई संभावनाएं खोल रहा है. यह प्रयास न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था (local economy) को भी मजबूती प्रदान करेगा.