मुगल बादशाह इस खास वजह के चलते रखते थे किन्नर, हरम में महिलाओं के लिए 24 घंटे ये काम करते थे किन्नर
भारतीय इतिहास में मुगल साम्राज्य एक लंबी अवधि तक प्रभावशाली रहा है। मुगल बादशाहों ने न केवल भव्य स्थापत्य कला को बढ़ावा दिया बल्कि उन्होंने अपने दरबार में किन्नरों को भी महत्वपूर्ण भूमिका दी। यह बात शायद कम ही लोग जानते हैं कि मुगल बादशाह अपने दरबार में किन्नरों को क्यों रखते थे और उन्हें क्या खास जिम्मेदारियां सौंपी जाती थीं।
मुगल साम्राज्य में किन्नरों की भूमिका केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं थी बल्कि उन्हें समाज में एक विशेष और सम्मानित स्थान प्राप्त था। उनकी योग्यता और क्षमताएँ मुगल दरबार की सुरक्षा और संचालन में एक अहम कड़ी के रूप में कार्य करती थीं।
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किन्नरों की जिम्मेदारियाँ और सुरक्षा का कार्य
मुगल साम्राज्य में किन्नरों को विशेषतः हरम की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया जाता था। इतिहासकार रूबी लाल के अनुसार अकबर के समय में हरम के विभिन्न हिस्सों की रखवाली किन्नरों के हाथ में थी।
उनका यह भी कहना है कि हरम में मौजूद महिलाओं की सुरक्षा में किन्नरों की महत्वपूर्ण भूमिका थी जिसमें उन्हें यह तय करने का अधिकार था कि किसे हरम में प्रवेश की अनुमति दी जाए और किसे नहीं।
किन्नरों की सुरक्षा में विश्वास और सख्ती
मुगल बादशाह अपनी रानियों और हरम के अन्य सदस्यों की सुरक्षा के लिए किन्नरों पर विशेष भरोसा करते थे। इसका मुख्य कारण यह था कि किन्नर न केवल शारीरिक रूप से मजबूत होते थे बल्कि उनसे रानियों को कोई खतरा भी नहीं होता था।
मुगल शासकों का मानना था कि सामान्य सैनिकों की बजाय किन्नरों के हाथों में हरम की सुरक्षा सौंपने से बेगमात की गरिमा और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होती है।
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ख्वाजासरा किन्नरों का विशेष दर्जा
मुगल दरबार में किन्नरों को 'ख्वाजासरा' कहा जाता था। इन्हें दरबार में विशेष सुविधाएँ और सम्मान प्राप्त था। ख्वाजासराओं को युद्ध कौशल और घुड़सवारी में भी पारंगत किया जाता था ताकि वे किसी भी संकट की स्थिति में रानियों और हरम की अन्य महिलाओं की रक्षा कर सकें।