Mughal Empire: अकबर अपने दरबार के इस किन्नर पर  करता था खुद से ज्यादा विश्वास, लगाव इतना की सौंप दी थी बड़ी जिम्मेदारी

मुगल काल में जिस कमरे में खास महिलाएं या फिर बेगम रहा करती थीं, उसे हरम कहते थे। हरम अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है एक छुपा हुआ कमरा जहां पुरूषों के आने-जाने की अनुमति नहीं होती थी।
 

मुगल काल में जिस कमरे में खास महिलाएं या फिर बेगम रहा करती थीं, उसे हरम कहते थे। हरम अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है एक छुपा हुआ कमरा जहां पुरूषों के आने-जाने की अनुमति नहीं होती थी। यहां तक की हरम की सुरक्षा में भी हथियारबंद किन्नरो को तैनात किया जाता था।

डच व्यापारी फ्रेंचिस्को पेल्सर्ट जब सत्रहवीं शताब्दी में मुगल दरबार में पहुंचे तो सबसे पहले उनकी नजर किन्नरों पर पड़ी, जो ‘ख्वाजासरा’ कहे जाते थे। मुगल काल में किन्नर एक तरीके से पावर सेंटर बन गए थे। दरबार से लेकर हरम तक, उनकी अलग-अलग भूमिकाएं थीं।

अपने यात्रा वृत्तांत में पेल्सर्ट लिखते हैं कि किन्नर जो चाहते उन्हें वो सारी सुख-सुविधाएं और ऐशो-आराम की चीजें मिलती थीं। अच्छे से अच्छे कपड़े, एक से बढ़कर एक ताकतवर घोड़े और तमाम दूसरी चीजें एक इशारे पर उपलब्ध थीं।

इस्लामिक सत्ता में किन्नरों की मजबूत भूमिका

चर्चित स्कॉलर शॉन मारमॉन अपनी किताब ‘यूनख्स एंड सेक्रेड बाउंड्रीज इन इस्लामिक सोसायटी’ में लिखती हैं कि इस्लामिक कल्चर में किन्नरों का बड़ा लंबा इतिहास और मजबूत सत्ता रही है।

सन 1925 में मदीना में पैगंबर मोहम्मद की कब्र के बाहर भी किन्नरों बतौर गार्ड तैनात रहते थे। इस्लामिक सत्ता में किन्नरों की मजबूत भूमिका देखी गई है।

हरम से लेकर कोर्ट तक किन्नरों की ‘सत्ता’

मशहूर इतिहासकार शादाब बानो एक लेख में लिखती हैं कि मुगल साम्राज्य में सिर्फ बाबर और हुमायूं के शासनकाल में किन्नरों का बहुत कम जिक्र मिलता है। इसके अलावा मुगल सल्तनत के जितने बादशाह हुए सबकी कोर्ट में किन्नरों के खास जगह थी।

किन्नरों के कंधे पर दो अहम जिम्मेदारी थी

अकबर के शासनकाल में तो किन्नर एक तरीके से सत्ता का केंद्र बन गए। मशहूर इतिहासकार रूबी लाल अपनी किताब में लिखती हैं कि अकबर के शासन काल में हरम को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया। इसकी रखवाली की जिम्मेदारी किन्नरों को सौंपी गई और वही हरम के केंद्र थे।

वह लिखती हैं कि हरम में कई लेयर की सुरक्षा होती थी। सबसे पहले राजपूत सुरक्षाकर्मी होते थे और सबसे अंदर किन्नरों का सुरक्षा घेरा होता था। किन्नर ही यह तय करते थे कि हरम में किसे एंट्री मिलेगी और किसे नहीं। ‘अकबरनामा’ में नियामत नाम के एक ऐसे किन्नर का जिक्र मिलता है।

जिसने बादशाह अकबर के सौतेले भाई अधम खान को हरम में जाने से रोक दिया था। अकबर के शासन काल में इतिमाद खान नाम का एक किन्नर अफसर था, जो बहुत ताकतवर था। उसके पास सिक्योरिटी से लेकर जैसे वित्त जैसी अहम जिम्मेदारी थी।

बादशाह अकबर उससे तमाम मसलों पर सलाह लिया करते थे। हरम की सुरक्षा के अलावा किन्नर जासूसी का काम भी किया करते थे। इतिहासकार लिखते हैं कि मुगल हरम एक ऐसी जगह थी, जहां सियासत भी कम नहीं थी। ऐसे में किन्नर तमाम कानाफूसी पर नजर रखते और इसे बादशाह तक पहुंचाया करते थे।