Mughal Harem: रानियों को कितनी मिलती थी महीने की सैलरी, दासी की सैलरी आपको चौंका देगी

मुगल साम्राज्य भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली और समृद्ध युगों में से एक ने न केवल वास्तुकला और कला में नई तकनीक किए बल्कि सामाजिक व्यवस्था में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए
 

Mughal Harem: मुगल साम्राज्य भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली और समृद्ध युगों में से एक ने न केवल वास्तुकला और कला में नई तकनीक किए बल्कि सामाजिक व्यवस्था में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए. इनमें से एक था रानियों और शहजादियों को सैलरी देने का अभिनव निर्णय.

जहांआरा बेगम

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की शोध पत्रिका 'इतिहास' में प्रकाशित आनंद कुमार सिंह के शोध के अनुसार, जहांआरा बेगम को मुगल सल्तनत में सबसे अधिक वेतन प्राप्त होता था. शुरुआत में उन्हें सालाना 7 लाख रुपये मिलते थे जो कि बाद में बढ़कर 17 लाख रुपये (Highest Paid Royal) हो गया था.

मुगल महिलाओं की आर्थिक स्थिति

मुगल साम्राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बल देने के लिए उन्हें वेतन देने की प्रथा थी. यह प्रथा न केवल शाही परिवार की महिलाओं तक सीमित थी बल्कि हरम में रहने वाली सभी महिलाओं को भी उनके योगदान और स्थिति के अनुसार वेतन दिया जाता था.

औरंगजेब और जैबुन्निसा बेगम की वित्तीय साझेदारी

इतिहास में यह भी दर्ज है कि औरंगजेब ने अपनी बेटी जैबुन्निसा बेगम को 4 लाख रुपये सालाना का वेतन दिया करते थे. यह राशि उस समय के लिए काफी बड़ी थी और इससे जैबुन्निसा की वित्तीय स्वायत्तता सुनिश्चित होती थी.

मुगल सल्तनत में महिलाओं का खर्चीला जीवन

शोध से यह भी पता चलता है कि मुगल सल्तनत में सबसे खर्चीली महिला बेगम जहांआरा थीं. उनकी विलासिता और खर्चों की कहानियां आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. उनका जीवन शाही ठाठ-बाट और ऐश्वर्य से भरा हुआ था.

मुगल महिलाओं की विरासत

मुगल काल की महिलाओं ने न केवल सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर अपनी पहचान बनाई बल्कि वित्तीय रूप से भी वे स्वतंत्र और सशक्त थीं. इन महिलाओं की कहानियां और उनकी उपलब्धियां आज भी हमें प्रेरित करती हैं और यह दर्शाती हैं कि वित्तीय स्वायत्तता महिलाओं के सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण आधार है.

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