Mughal Harem: शाहजहां की बेटी ने अपनी डायरी में बताई मुगल हरम की काली दुनिया की सच्चाई, हरम में आने के बाद जिन्न की तरह गायब हो जाती थी खूबसूरत औरतें

मुगल काल में बादशाह के हरम की बहुत सी कहानियां लिखी गईं। अंतरराष्ट्रीय कहानीकारों ने भी वहां होने वाली बर्रबता का खुलकर जिक्र किया है।
 

मुगल काल में बादशाह के हरम की बहुत सी कहानियां लिखी गईं। अंतरराष्ट्रीय कहानीकारों ने भी वहां होने वाली बर्रबता का खुलकर जिक्र किया है। शाहजहां की बेटी जहांआरा ने भी अपनी डायरी में हरम का जिक्र किया है। उसने लिखा कि लड़कियों को हरम में लाया जाता था और जिन्न की तरह बाहरी दुनिया से गायब हो जाती थीं।

12 साल की उम्र में लिखी डायरी

जहांआरा ने बारह वर्ष की उम्र में ये डायरी लिखना शुरू किया था। इस डायरी में उन्होंने शाहजहां के बादशाह बनने से पहले और बाद की घटनाओं को समझाया है। महल के हरम पर वह लिखती हैं, "बादशाह के महल में महिलाओं की अलग दुनिया है।" विभिन्न प्रकार की महिलाएं इसमें रहती हैं। यहां रहते हैं रानियां, शहजादियां, दासियां, नौकरानियां, बावर्चिन, नर्तकियां, गायिकाएं, धोबिन और कलाकार।'

कहां से पहुंचती थी महिलाएं

उसने आगे लिखा कि इन पर नजर रखने के लिए दासों की एक फौज भी तैयार की गई थी, जो हर समय बादशाह को सूचना देती रहती थी। "हरम में मौजूद कुछ महिलाएं शाही परिवार के लोगों से शादी के बाद यहां पहुंची हैं," उन्होंने लिखा। बादशाह के फिदा होने पर कुछ लोगों को हरम का हिस्सा बनना पड़ा। वहीं कुछ शहजाद चुने गए हैं।'

बाहरी दुनिया से दूर हो जाती थी महिलाएं

जहांआरा ने अपनी डायरी में हरम के बारे में बताते हुए लिखा है, 'यहां मौजूद कई महिलाओं का जन्म ही हरम के अंदर हुआ है. कुछ महिलाओं का कहना है कि एक बार हरम का हिस्सा हो जाने के बाद बाहरी दुनिया का कोई भी शख्स यहां की महिलाओं का चेहरा नहीं देख सकता है. बाहरी दुनिया के लिए यहां की महिलाएं जिन्न की तरह गायब हो जाती हैं. कुछ दिनों बाद हरम की महिलाओं के घर वाले भी उनका चेहरा भूल जाते हैं.'

17 साल में संभाल ली थी हरम की जिम्मेदारी

जहांआरा उस समय सबसे शक्तिशाली और धनी महिला थी। जब उनकी मां मर गई, वह सिर्फ 17 वर्ष की थीं। इस समय मुगल साम्राज्य का हरम उनके कंधों पर था। उन्होंने दिल्ली में की महल भी बनाया। चांदनी चौक भी जहांआरा ने बनाया था।