Mughal Harem: शाहजहाँ की बेटी ने अपने डायरी में बताई मुगल हरम की काली सच्चाई, ताक़त बढ़ाने के लिए इन चीजों को खाकर बादशाह रातभर करते थे

मुगलकाल भारतीय इतिहास की किताब के वो पन्ने हैं, जिनके बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जानने की इच्छा रखते हैं.। प्रत्येक मुगल शासक का अलग-अलग नियमो और कानून के साथ अपना विशेष समय था।
 

मुगलकाल भारतीय इतिहास की किताब के वो पन्ने हैं, जिनके बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जानने की इच्छा रखते हैं.। प्रत्येक मुगल शासक का अलग-अलग नियमो और कानून के साथ अपना विशेष समय था। इसलिए मुगलों के इतिहास में बहुत सी जानकारियां हैं।

कुछ इतिहासकारों ने मुगल हरम और वहां हुई बुरी चीजों के बारे में लिखा है। यहां तक की शाहजहाँ की बेटी जहाँआरा ने अपनी डायरी में मुगलों के हरम के बारे में बहुत कुछ लिखा था। उन्होंने बताया कि कैसे हरम मे लड़कियों को लाया जाता है और फिर वो बाहर की दुनिया से गायब जाती थीं।

कम उम्र से किया डायरी लिखने की शुरुआत 

जब जहाँआरा 12 वर्ष की थी, तब उसने डायरी लिखनी शुरू की। इस डायरी में उसने उन बातों के बारे में लिखा है जो शाहजहाँ के शासन काल से पहले और बाद में घटित हुई थीं। जहाँआरा की डायरी में मुग़ल हरम के बारे में कुछ बहुत ही कठिन जानकारी है, जो एक विशेष स्थान है जहाँ राजा का परिवार रहता था।

जहांआरा ने अपनी डायरी मे लिखा की, मुगल हरम एक अलग ही दुनिया थी.यहां अलग-अलग धर्म, प्रांत, जाति और देशों की महिलाएं रहती थीं. इनमें रानियां, राजकुमारियां, गायिका, नृतकी और चित्रकार शामिल हैं. जहांआरा ने अपनी डायरी में लिखा है कि नौकरानियों की एक सेना हमेशा महिलाओं पर निगरानी रखती थी।

वह बादशाह को हर समय जानकारी देती थीं। राजपरिवार से शादी करने के कारण हरम में कुछ रानियां होती थीं। राजा कुछ लोगों से प्यार करता था। जबकि राजकुमारों का दिल कुछ महिलाओं पर आ गया था। ये सब हरम में रहते थे।

कई महिलाएं हरम में हुई थीं पैदा

जहांआरा ने अपनी डायरी में लिखा है कि हरम में कई महिलाओं का जन्म हुआ था। वह वहीं बड़ी हुईं और वहीं से उनकी अर्थी ही बाहर आई। हरम में शामिल होने के बाद उनका बाहरी दुनिया से कोई संबंध नहीं रहता था। वह एक जिन्न की तरह लोगों के लिए गायब हो जाती थी।

धीरे-धीरे उनके परिवार वाले भी उनको भूल जाते थे। जहांआरा को शाहजहां के दौर की सबसे प्रभावशाली और समृद्ध महिला माना जाता था. जब वह 17 बरस की थी, तब उसकी मां चल बसी. इसके बाद इतनी कम उम्र में उसने हरम की जिम्मेदारी उठाई.

इसके बाद उसने कई शानदार निर्णय लिए. जहांआरा को चांदनी चौक से लेकर दिल्ली में कई महलों का निर्माण करने का भी श्रेय जाता है।