Mughal Harem: मुगल हरम में रानियों के साथ जमकर मज़े करता था अकबर का ये ख़ास शख़्स, सुबह तक महिलाओं की हालत कर देता था ख़राब

मुगल बादशाहों में अकबर को लेकर बहुत ज्यादा बाते होती है। अकबर-बीरबल के साथ-साथ अकबर-जोधाबाई की कहानियों को इतिहासकारों से लेकर टीवी सीरियल और फिल्म निर्माताओं ने अपने कंटेट में शामिल किया है।
 

मुगल बादशाहों में अकबर को लेकर बहुत ज्यादा बाते होती है। अकबर-बीरबल के साथ-साथ अकबर-जोधाबाई की कहानियों को इतिहासकारों से लेकर टीवी सीरियल और फिल्म निर्माताओं ने अपने-अपने कंटेट में अच्छी तरह से शामिल किया है।

अकबर की बायोग्राफी को पढ़ने वालों का कहना है कि मुगल इतिहास में बाबर के बाद अगर कोई सबसे दिलचस्प व्यक्ति रहा है, तो वो अकबर ही रहा है। 13 साल की उम्र में बादशाह बना अकबर किस्मत का धनी होने के साथ अपने आप में एक युग था। 

अकबर, मुगल हरम और किन्नर

बताया जाता है कि अकबर के हरम में सैकड़ों महिलाएं होती थीं। उसके हरम के रखवाले भी किन्नर होते थे। मुगलों को किन्नरों से कुछ अलग लेवल का लगाव था। किन्नर ही बादशाहों के सबसे विश्वासपात्र लोग मे से थे।

इसलिए किन्नर ही मुगल हरम की बेगमों और अन्य महिलाओं की सुरक्षा करते थे। ऐसे में आज बात मुगल इतिहास के सबसे लोकप्रिय शक्तिशाली स्थान पर रहे किन्नरों की जिनमें से एक तो अकबर का सबसे खासमखास दोस्त किन्नर था।

किन्नरों की इन कहानियों को आम आदमी अभी भी नहीं जानता है। मुगल सल्तनत में किन्नरो को कई मुख्य काम दिए जाते थे। कोई सिक्योरिटी अफसर था तो कोई सलाहकार की के तौर पर काम करता था।

इसी तरह कुछ किन्नर राजाओ के मुखबिर के रूप मे काम किया करते थे। इसी तरह कुछ किन्नरों का मुगल दरबार के कामकाज को देखते थे। यानी ये समझने में कहीं कोई परेशानी नहीं है कि 17 वीं शताब्दी में बादशाह के बाद अगर कोई शक्तिशाली था, तो वो किन्नर समुदाय ही था।

इन हाईली पेड किन्नरों के पास ऐशो-आराम के हर सुविधा उपलब्ध थी। उनके जैसा जीवन सबके नसीब मे नहीं होता था। हाथी, घोड़े और पालकी से लेकर किन्नरों के पास एक से अधिक कपड़े और कई हीरे-जवाहरात थे।

जावेद और इतिमाद खान

बताया जाता है कि मुगल सल्तनत में वैसे तो सैकड़ों किन्नरों ने काम किया था। उनमे से कोई जन्म से किन्नर था तो किसी को जानबूझकर किन्नर बना दीया गया था। लेकिन कुछ किन्नरों की काबिलियत के चर्चे इतिहास में भी लिखी गई है। ऐसे ही दो किन्नर थे जावेद और इतिमाद खान।

पहले बात करते है जावेद की जिसे अच्छी तरह पता था कि मौके पर अपनी बुद्धि का उपयोग कैसे करना है। वो अपने खुद दम पर मुगल इतिहास का सबसे ताकतवर किन्नर बना। जावेद की नियुक्ति मुहम्मद शाह रंगीला के दौर में हुई थी।

बादशाह की मौत के बाद जावेद एक प्रभावशाली किन्नर बनकर सामने आया। वो मुगल बेगमों का भी खास था। बताया जाता है कि जब उसकी मौत हुई तो महल की एक शक्तिशाली महिला ने शोक में अपने गहने और शाही कपड़े उतार दिए थे।

अकबर का सबसे वफादार

किन्नर हरम की सुरक्षा करते थे। उन्हें ख्वाजासरा कहा जाता था। उनकी इजाजत के बिना कोई भी मुगल हरम में प्रवेश नहीं कर सकता था। बादशाह अकबर का सबसे प्रिय किन्नर इतिमाद खान भी इतना ही शक्तिशाली था।

बता दें की इतिमाद खान, अकबर का सबसे करीबी किन्नर था। इतिमाद खान अकबर के खिलाफ होने वाली सभी साजिशों और इधर-उधर की बातों के बारे में जानकारी अकबर को दिया करता था। 

हरम में थी ये हैसियत

कुछ इतिहासकारों का मानना है की इतिमाद खान दरबार के कामकाज को भी संभलता था। मुगल शासनकाल मे उसे बहुत सी पॉवर मिली हुई थी। उसे बहुत से लोग खान साहब बुलाते थे। इतिमाद खान न सिर्फ हरम का सबसे वरिष्ठ अधिकारी था बल्कि अकबर ने उसे शाही खर्चों से जुड़े महत्वपूर्ण काम भी सौंप दिए थे।