Mughal Harem: मुगल हरम में बादशाह को खुश करने के लिए क्यों लाई जाती थी भारी भरकम महिलाएं, दिनरात करना पड़ता था ये काम

मुगलों के हरम की कहानियां दुनिया भर में फैलीं। कई विदेशियों ने भारत आकर हरम में क्या हुआ, यह जानना चाहा। यह बाबर के शासनकाल से शुरू हुआ था, लेकिन हरम को विस्तार देने का काम अकबर के शासनकाल में हुआ था।
 

मुगलों के हरम की कहानियां दुनिया भर में फैलीं। कई विदेशियों ने भारत आकर हरम में क्या हुआ, यह जानना चाहा। यह बाबर के शासनकाल से शुरू हुआ था, लेकिन हरम को विस्तार देने का काम अकबर के शासनकाल में हुआ था।

अकबर के हरम में लगभग पांच हजार से अधिक महिलाएं थीं, इनमें कई दासियां थीं जो दुनिया भर से लाई गई थी, जैसा कि अकबरनामा लिखने वाले अबु फजल ने बताया है।

यह दिलचस्प है कि हरम में मुगल बादशाह और शहजादों के अलावा किसी अन्य आदमी का प्रवेश वर्जित था। लेकिन हरम में सिर्फ दो बाहरी आए: विदेशी यात्री मनूची और फ्रेंच चिकित्सक फ्रांस्वा बर्नियर। अपने संस्मरणों में, उन्होंने मुगलों के हरम के कई राज खोले।

धनुष-भाले से लैस भारीभरकम शरीर वाली औरतें

मुगलों के हरम से निकलने वाली हर बात सल्तनत में चर्चा का विषय बन गई। यह दिलचस्प है कि इसकी सुरक्षा करने के लिए महिलाओं को नियुक्त किया गया था। हरम में कितना पहरा होगा, महिलाएं ही निर्धारित करती थीं। सुरक्षा के तीन लेयर थे।

सुरक्षा की पहली पंक्ति में भारी-भरकम और मजबूत शरीर वाली महिलाएं होती थीं। इनके हाथों में धनुष और भाले होते थे। प्रमुख तौर पर हरम की सुरक्षा की जिम्मेदारी इनकी ही होती थी।

खासतौर पर इन्हें उज्बेकिस्तान की उस जगह से लाया जाता था जहां महिलाएं सैन्य प्रशिक्षण में अच्छी थीं। यह शत्रु को तुरंत मार डालने में माहिर थीं। इनसे बचना मुश्किल था।

हरम में भला किन्नरों का क्या काम

हरम में सुरक्षा की दूसरी पंक्ति में किन्नरों को शामिल किया गया था। यहां की व्यवस्था को बनाए रखना, यहां के षडयंत्रों पर नजर रखना और उसे बादशाह तक पहुंचाना, किन्नरों का यही काम था। ज्यादातर किन्नर अफ्रीकी और एशियाई नस्ल के थे।

जिन्हें या तो बचपन से घर से निकाल दिया गया था या फिर तुर्की और उत्तरी अफ्रीका के राजाओं को तोहफे में मिले थे। इन्हें सल्तनत में चल रहे षडयंत्रों की जानकारी होती थी। यही वजह रही कि मुगलों के इतिहास में कई किन्नर ऐसे भी रहे जिन्हें बादशाह ने अपना राजनीतिक सलाहकार घोषित किया।

आगरा में बनाए गए किन्नरों के मकबरे इस बात सुबूत हैं कि बादशाह के साथ उनके कैसे सम्बंध थे। सुरक्षा की तीसरी पंक्ति में मजबूत कद काठी वाले सिपाही होते थे। जो हरम के बाहर बंदूक ताने खड़ रहे थे। उन्हें सीधा आदेश था कि कोई भी घुसपैठिया दिखे तो गोली मार दें।

सिर्फ बादशाह को खुश करने का नियम

मुगल राजाओं ने हरम के कुछ नियम बनाए, जिनसे वे ही अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते थे। यही कारण था कि बादशाह के सिवा हरम में किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया।

महिलाओं की भारी संख्या के बावजूद कोई बाहरी व्यक्ति उनके चेहरे तक नहीं देख पाया। लेकिन मनूची और बर्नियर हरम में गए थे। दोनों को पेशे से चिकित्सक होने का सीधा लाभ मिला।