अब बिना ईंट-पत्थर के 3D प्रिंटिंग तकनीक से बन जाएगा घर, खर्चा जानकर तो आप भी नही करेंगे विश्वास
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Minister Ashwini Vaishnaw) ने बेंगलुरु में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 3D प्रिंटिंग (3D Printing) तकनीक से बने पोस्ट ऑफिस (Post Office) का उद्घाटन किया, जो कि भारत में अपनी तरह का पहला है। इस नवाचारी कदम ने न केवल निर्माण क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की है।
बल्कि समय और लागत दोनों के मामले में भी एक नई संभावना को उजागर किया है। बेंगलुरु में 3D प्रिंटिंग से बने पोस्ट ऑफिस का निर्माण भारतीय निर्माण क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करता है। इस तकनीक के अपनाए जाने से न केवल निर्माण समय में कमी आएगी बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।
इस नवाचार ने भारतीय इंजीनियरिंग (Indian Engineering) और निर्माण उद्योग (Construction Industry) में एक नई सोच को जन्म दिया है, जिससे आने वाले समय में और भी अधिक उन्नत और टिकाऊ निर्माण संभव होगा।
3D प्रिंटिंग की विशेषताएं
3D प्रिंटिंग तकनीक (3D Printing Technology) आमतौर पर प्रिंटर्स से जुड़ी होती है, लेकिन इसकी वास्तविकता कुछ अलग है। इस तकनीक में, रोबोटिक्स (Robotics) के जरिए एक के बाद एक परतों को जोड़कर दीवारों, छत और फर्श का निर्माण किया जाता है।
जो कि निर्माण के पारंपरिक तरीकों से काफी अलग है। इस तकनीक से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी कमी आती है।
पारंपरिक निर्माण बनाम 3D प्रिंटिंग
जहां पारंपरिक निर्माण में ईंटों (Bricks) का उपयोग होता है, वहीं 3D प्रिंटिंग में इसकी आवश्यकता नहीं होती। यह तकनीक समय और संसाधनों की बचत करते हुए एक दृढ़ और टिकाऊ निर्माण प्रदान करती है।
बेंगलुरु में बने इस पोस्ट ऑफिस को मात्र 44 दिनों (44 Days) में तैयार किया गया, जो कि पारंपरिक तरीकों से एक वर्ष तक का समय ले सकता था।
निर्माण प्रक्रिया
3D प्रिंटिंग में निर्माण की प्रक्रिया पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड (Computerized) होती है। रोबोटिक मशीनें (Robotic Machines) निर्माण सामग्री को परत दर परत जोड़ती हैं, जिससे नक्शे के अनुसार निर्माण कार्य सटीक और तेजी से होता है। यह तकनीक निर्माण के दौरान विविधता और लचीलापन प्रदान करती है।
लागत और टिकाऊपन
3D प्रिंटिंग से निर्माण में लागत कमी (Cost Reduction) और निर्माण की दृढ़ता (Durability) में वृद्धि होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक भविष्य में निर्माण क्षेत्र में क्रांति ला सकती है, जिससे न केवल निर्माण कार्य सस्ता होगा बल्कि अधिक मजबूत भी होगा।