किराएदार के सामने अब मकान मालिक भी नही चला पाएंगे अपनी मर्जी, किराएदार को मिले 6 खास अधिकार
भारत में अक्सर मकान मालिकों (Landlord Rights) और किराएदारों (Tenant Rights) के बीच विवादों की खबरें आम हैं। किराए की राशि, घर में मिलने वाली सुविधाओं और मकान मालिक द्वारा मनमाने तरीके से किराया बढ़ाने जैसे मुद्दे अक्सर सामने आते हैं।
इसी समस्या को देखते हुए, केंद्र सरकार ने 2021 में मॉडल टेनेंसी एक्ट (Model Tenancy Act) पास किया जिसका उद्देश्य इन छोटी-छोटी लड़ाइयों को निपटाना और दोनों पक्षों के हकों की सुरक्षा करना है।
मॉडल टेनेंसी एक्ट की मुख्य विशेषताएं
मॉडल टेनेंसी एक्ट (Model Tenancy Act) का मुख्य लक्ष्य देश में एक समान रेंटल मार्केट (Uniform Rental Market) बनाना है। इस कानून के तहत, किराये की प्रॉपर्टी (Rental Property) के मालिक और किराएदार के बीच रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) करना अनिवार्य है।
यह एक्ट राज्य सरकारों को नए नियम लागू करने की भी अनुमति देता है। इसमें प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में एक स्वतंत्र प्राधिकरण (Independent Authority) और विवादों को सुलझाने के लिए एक अलग अदालत (Special Court) की स्थापना का प्रावधान है।
विवाद समाधान और सुरक्षित अधिकार
इस कानून के अनुसार, किराएदारी से संबंधित विवादों का समाधान त्वरित और कुशलतापूर्वक किया जा सकेगा। इससे न केवल मकान मालिकों को उनकी प्रॉपर्टी की सुरक्षा (Property Security) मिलेगी।
बल्कि किराएदारों को भी उनके हक (Rights) और सुविधाओं की गारंटी मिलेगी। इस एक्ट का उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच विश्वास (Trust) और पारदर्शिता (Transparency) बढ़ाना है।
भारतीय रेंटल मार्केट में बदलाव की दिशा
मॉडल टेनेंसी एक्ट के लागू होने से भारतीय रेंटल मार्केट (Indian Rental Market) में एक बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। यह कानून न केवल मकान मालिकों और किराएदारों के बीच के विवादों को कम करेगा बल्कि निवेशकों (Investors) के लिए भी रेंटल सेक्टर (Rental Sector) में निवेश करना अधिक आकर्षक बना देगा।
इससे नए आवासीय परियोजनाओं (Residential Projects) और रेंटल हाउसिंग (Rental Housing) के विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अंततः आम जनता को लाभ होगा।
आगे की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
हालांकि मॉडल टेनेंसी एक्ट एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ (Challenges) भी सामने आ सकती हैं। राज्य सरकारों द्वारा इस एक्ट को अपनाने और लागू करने में समय और प्रयास की आवश्यकता होगी।
इसके अलावा, मकान मालिकों और किराएदारों को भी इस नए कानून की जानकारी और इसके प्रावधानों के बारे में समझने की जरूरत है। फिर भी, इस एक्ट की सफलता भारतीय रेंटल मार्केट को और अधिक संगठित (Organized) और उपभोक्ता-अनुकूल (Consumer-Friendly) बना सकती है।