बूढ़ी अम्मा भगवान को खुश करने के लिए दुनियाभर के सब काम करती फिर भी नही हुए दर्शन, बहु की एक आवाज सुनकर भगवान फौरन आ जाते थे
भगवान अपने भक्तों को देखता है। उनकी एक आवाज पर वे भागते हैं। आपने पुरानी कहानियों और दादी-नानी के किस्सों से यह कहानी सुनी होगी। ऐसी ही एक कहानी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के ग्रामीण इलाकों में बहुत लोकप्रिय है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं। 65 वर्षीय दादी लक्ष्मी बाई, जिला खरगोन के निमाड़ अंचल के ग्राम नागझिरी में रहती हैं, यह कहानी सुन रही हैं।
कहानी सुनाते हुए दादी लक्ष्मी बताती हैं कि कार्तिक महीने में एक गांव में चार से छह बुजुर्ग महिलाएं दिन में एक बार जमना जी में नहाने जाती थीं। गांव में रहने वाली एक बुढ़िया भी हर दिन बाकी महिलाओं के साथ जाती थी।
इधर बुढ़िया की बहू सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करके नहा-धोकर तैयार हो जाती थी। फिर पांच मुठ्ठी गेहूं को घट्टी में पीसकर हलवा बनाकर तुलसी माता की पूजा करती थी। उस समय बहू ने भगवान से कहा, "आओ मोहन भोग लगाओ।" भगवान ने बहू की आवाज़ सुनते ही फौरन आकर भोजन करके वापस चले गए।
एक दिन की बात है जब….
जैसे हर दिन, बहू ने भगवान को भोजन के लिए पुकारा, और भगवान भोजन करने आया। महिला का पति हर दिन बिस्तर पर लेटे-लेटे इसे देखता था। एक दिन, उसने अपनी बुढ़िया से पूछा, मां, तुम हर दिन जमना जी में नहाने जाती हो, क्या भगवान ने तुम्हें दर्शन दिया? बुढ़िया ने कोई उत्तर नहीं दिया। बेटा ने कहा कि भगवान हर दिन मेरी पत्नी को दिखाते हैं। मैं भी तुम्हें कल घर के दरवाजे के पीछे छिपकर भगवान का दर्शन करवाता हूँ।
मां-बेटे को हुए भगवान के दर्शन
अगली सुबह बुढ़िया ने बेटे की बात पर भरोसा करके जमना स्नान को निकली, लेकिन नदी तट पर नहीं गई, बल्कि बाहर बेटे के साथ भगवान का इंतजार करने लगी। उधर, बहू उठी, घर की सफाई करके तुरंत तैयार हुई। जब उसने घट्टी में गेहूं पीसकर हलवा बनाया और मोहन (भगवान) को पुकारा, तो भगवान तुलसी पर भोजन करने आए। यह दृश्य देखकर मां और बेटे दंग रह गए। आज बहू ने दोनों को भगवान का दर्शन दिया।