दिवाली के त्यौहार पर इस सब्ज़ी की होती है पूजा, चटनी बनाकर खाने से कई बीमारियां रहती है कौसों दूर

पश्चिमी राजस्थान में कई सब्जी सीजन और कम पानी में उगती है। ऐसी ही एक सब्जी है काचर जिसे आम भाषा में काचरा भी कहते हैं। यह सब्जी कम पानी में ही उग जाती है।
 

पश्चिमी राजस्थान में कई सब्जी सीजन और कम पानी में उगती है। ऐसी ही एक सब्जी है काचर जिसे आम भाषा में काचरा भी कहते हैं। यह सब्जी कम पानी में ही उग जाती है। साथ ही दीपावली पर महालक्ष्मी जी की पूजा में उपयोग होता है।

दीपावली पर हर घर में काचर को पूजा जाता है। इसकी सब्जी बड़ी स्वादिष्ट बनती है। दरअसल इस काचर (काचरे) की सब्जी का सबसे बड़ा उपयोग तो चटनी बनाने में होता है। इस काचर की चटनी राजस्थान के मुख्य व्यंजन में आती है।

यह चटनी विदेशों तक प्रसिद्ध है। साथ ही इस चटनी की खासियत है कि यह चटनी कई दिनो तक खराब नहीं होती है। दुकानदार श्याम तंवर ने बताया कि इस काचर सब्जी का सीजन सावन मास में आना शुरू हो जाता है जो चार से पांच माह का रहता है।

इस सब्जी की मुख्य रूप से चटनी बनती है। यह सब्जी बीकानेर के आसपास के इलाको में यह सब्जी उगती है तथा यह सब्जी राजस्थान के अन्य इलाको सप्लाई होती है। यह सब्जी बाजार में 30 से 40 रुपए किलो बेची जा रही है।

शरीर को कई बीमारियों से रखता है दूर

काचर में कई पोषक तत्व रहते है। जिससे शरीर को काफी फायदा होता है साथ ही शरीर में कई तरह की बीमारियां दूर होती है। इससे पेट की पाचन शक्ति सही रहती है तथा सर्दी जुखाम से राहत मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही इसमें एंटी ऑक्सीडेंट भी होते है।