भारत के इस किले से दिखाई देता है पाकिस्तान, रहस्यों से भरा पड़ा है इसका गेट

भारत के गौरवशाली इतिहास में मेहरानगढ़ दुर्ग का एक विशेष स्थान है। राजस्थान के जोधपुर में स्थित यह दुर्ग अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए विख्यात है। 15वीं शताब्दी में राव जोधा द्वारा इसकी नींव रखी गई।
 

भारत के गौरवशाली इतिहास में मेहरानगढ़ दुर्ग का एक विशेष स्थान है। राजस्थान के जोधपुर में स्थित यह दुर्ग अपनी भव्यता, स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए विख्यात है। 15वीं शताब्दी में राव जोधा द्वारा इसकी नींव रखी गई। जिसे महाराजा जसवंत सिंह ने पूर्ण रूप दिया।

यह भारत के सबसे बड़े और प्राचीनतम किलों में से एक है। मेहरानगढ़ दुर्ग न केवल एक ऐतिहासिक स्मारक है बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक भी है। इसके प्राचीन द्वार, रहस्यमय गाथाएं और भव्य वास्तुकला इसे विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती हैं।

मेहरानगढ़ दुर्ग भारतीय इतिहास के पन्नों में सोने की स्याही से लिखा गया एक अद्भुत अध्याय है। जिसे देखने और समझने के लिए हर भारतीय और विदेशी पर्यटक को एक बार जरूर जाना चाहिए।

मेहरानगढ़ की भौगोलिक स्थिति और वास्तुकला

मेहरानगढ़ किला जोधपुर के दिल में 125 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जिसे 'भोर चिड़ियाटूंक' की पहाड़ी पर बनाया गया था। इस किले की नींव रखते समय राव जोधा ने उस समय की सुरक्षा चुनौतियों और राजनीतिक स्थितियों को ध्यान में रखा था। किले की वास्तुकला में मुगल और राजपूताना शैली का अद्भुत संगम है जो इसे अत्यंत आकर्षक बनाता है।

रहस्यमय आठवां द्वार

मेहरानगढ़ दुर्ग में आठ दरवाजे हैं जिनमें से आठवां दरवाजा विशेष रहस्य और किवदंतियों से भरा है। इसे रहस्यमय माना जाता है और यह किले की सुरक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस द्वार की खासियत यह है कि यह आंतरिक रक्षा प्रणाली का प्रतीक है जो किले के सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत बनाता है।

किले से दिखता पाकिस्तान

मेहरानगढ़ किले की छत से पाकिस्तान की सीमा देखी जा सकती है। जो इसे जियोपॉलिटिकल रूप से भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह दृश्य न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है बल्कि भारतीय इतिहास और भूगोल की गहराई को भी दर्शाता है। मेहरानगढ़ दुर्ग पर्यटन के लिए एक प्रमुख आकर्षण है जो भारतीय इतिहास, संस्कृति और स्थापत्य कला के प्रेमियों को अपनी ओर खींचता है।