इस जगह पत्थरों को पालतू जानवर समझकर पालते है लोग, वजह जानकर तो लग सकता है झटका

आज के युग में जहां प्रौद्योगिकी ने दुनिया को छोटा बना दिया है वहीं अकेलापन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। हर कोई चाहे किसी भी उम्र या पृष्ठभूमि का हो कभी न कभी अकेलेपन से जूझता है।
 

आज के युग में जहां प्रौद्योगिकी ने दुनिया को छोटा बना दिया है वहीं अकेलापन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। हर कोई चाहे किसी भी उम्र या पृष्ठभूमि का हो कभी न कभी अकेलेपन से जूझता है। यह भावना इंसान को भीतर तक तोड़ सकती है और उसे अलग-थलग कर सकती है। इसका प्रभाव इतना बड़ा है कि इसे आधुनिक समाज में महामारी की तरह देखा जाने लगा है।

साउथ कोरिया का अनोखा समाधान

इस महामारी के खिलाफ साउथ कोरिया ने एक अनोखा और रचनात्मक समाधान खोज निकाला है। वहां के लोगों ने अकेलेपन से निपटने के लिए पत्थरों को अपने पालतू के रूप में अपनाया है। हां यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यही सच है। साउथ कोरिया में लोग पत्थरों को नाम देकर उन्हें ड्रेस पहनाकर और उन्हें अपनी दैनिक गतिविधियों में शामिल करके अपने अकेलेपन को दूर कर रहे हैं।

पत्थरों के साथ जीवन यापन

ये पत्थर न केवल घरों में सजावट का हिस्सा बन रहे हैं, बल्कि लोग इन्हें लंच, डेट और यहां तक कि लंबी ड्राइव पर भी ले जा रहे हैं। पत्थरों को कंबल ओढ़ाना, उन्हें खिलौने देना और उनके साथ बातें करना ये सभी काम उन्हें एक तरह का साथी महसूस कराती हैं। साउथ कोरिया में यह काम इतना लोकप्रिय हो गया है कि पत्थरों का व्यापार भी खूब फल-फूल रहा है।

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अनोखा बंधन और सामाजिक असर 

यह प्रवृत्ति न केवल अकेलापन मिटाने का एक साधन बन गई है बल्कि यह सामाजिक रूप से भी चर्चा का विषय बनी हुई है। यह दिखाता है कि इंसानों को जुड़ाव और संबंध की कितनी आवश्यकता होती है चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो। पत्थरों के साथ यह अनोखा बंधन लोगों को न केवल भौतिक, बल्कि भावनात्मक संतुष्टि भी मिलती है।