इस देश में 2025 से बंद हो जाएगी पेट्रोल और डीजल की कारें, भारत को अभी लगेंगे इतने साल

दुनिया भर में धरती के बढ़ते तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है.
 

दुनिया भर में धरती के बढ़ते तापमान के कारण जलवायु परिवर्तन की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है. इसके लिए मानवीय गतिविधियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को मुख्य कारण माना जाता है, जिसमें सड़क यातायात से उत्सर्जन प्रमुख योगदान देता है. इसे कम करने के लिए विश्व भर के देश अब पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों की बिक्री पर रोक लगाने जैसे कदम उठा रहे हैं.

विभिन्न देशों के प्रयास और निर्धारित लक्ष्य

यूरोपीय देश नॉर्वे (Norway) ने अगले साल 2025 तक पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बिक्री पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया है जो दिखाता है कि वह इस दिशा में कितनी गंभीर है. वहीं बेल्जियम (Belgium) ने 2029 और जर्मनी, ग्रीस, आइसलैंड, इजरायल, नीदरलैंड्स, स्वीडन और डेनमार्क ने 2030 का लक्ष्य निर्धारित किया है. बड़ी शक्तियों जैसे कनाडा, चिली, चीन, इटली, जापान, साउथ कोरिया, पुर्तगाल, थाईलैंड, यूके, और अमेरिका ने 2035 तक इसे लागू करने की योजना बनाई है.

भारत और अन्य देशों की योजनाएँ 

भारत ने 2040 तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की बिक्री बंद करने की योजना बनाई है. इसी लक्ष्य के साथ ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, मिस्र, अल साल्वाडोर, आयरलैंड, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, पोलैंड, स्पेन, और तुर्की भी जुड़े हुए हैं. अफ्रीकी देशों और तेल उत्पादक खाड़ी देशों ने अभी तक इस दिशा में कोई ठोस योजना प्रस्तुत नहीं की है.

भविष्य की दिशा और चुनौतियां 

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विश्व भर के देशों द्वारा उठाये जा रहे ये कदम निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैं, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी हैं जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों की उपलब्धता, उनकी कीमतें, और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (charging infrastructure) का विकास. इसके अलावा इन परिवर्तनों का आर्थिक असर भी एक महत्वपूर्ण विचार है जिस पर गहराई से ध्यान देने की आवश्यकता है.